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पहले नशे की लत लगाई, अब बच्चियों का शरीर नोच रहे

किसी के मां-पिता की मौत हो गई तो किसी के ऊपर छोटे भाई बहन का पेट पालने की जिम्मेदारी है। दो वक्त की रोटी की तलाश में ये लड़कियां जंक्शन के पास पहुंचकर ऐसे दलदल में फंस गई कि अब बाहर नहीं निकल पा रहीं।

By Edited By: Published: Sun, 21 Oct 2018 09:50 AM (IST)Updated: Sun, 21 Oct 2018 06:54 PM (IST)
पहले नशे की लत लगाई, अब बच्चियों का शरीर नोच रहे
पहले नशे की लत लगाई, अब बच्चियों का शरीर नोच रहे
जेएनएन, बरेली : किसी के मां-पिता की मौत हो गई तो किसी के ऊपर छोटे भाई बहन का पेट पालने की जिम्मेदारी है। दो वक्त की रोटी की तलाश में ये लड़कियां जंक्शन के पास पहुंचकर ऐसे दलदल में फंस गई कि अब बाहर नहीं निकल पा रहीं। उन्हें नशे का आदी बना दिया गया। अब उनका शारीरिक शोषण भी किया जा रहा। हरकतें जब बर्दाश्त से बाहर हो गई तो दो किशोरियों से अपना मुंह खोला। रेलवे जंक्शन पर स्थापित चाइल्ड हेल्पलाइन केंद्र के पास घेरा बनाकर बैठे बच्चों करीब पांच बच्चे बैठे थे। ये सभी बच्चे नशे के दलदल में फंस चुके हैं। इन्हीं में 12-13 साल की दो किशोरियों ने जो आपबीती सुनाई, वह हैरान करने वाली थी। एक बोली कि बचपन में ही मां की मौत हो गई, कुछ दिन बाद रिक्शा चालक पिता ने दम तोड़ दिया। पांच साल की एक बहन और सात साल के भाई का पेट भरने के लिए भीख मांगने लगे। जंक्शन पर आई तो यहां साथ में मांगने-खाने वाले पांच-छह लड़कों ने एक दिन वाइटनर का नशा सुंघा दिया। धीरे-धीरे उसका आदी बनाया और अब वे शारीरिक शोषण करते हैं। पांच साल का भाई और बहन भी नशे के आदी हो चुके हैं। एक अन्य किशोरी ने भी ऐसी ही आपबीती बताई। बोली कि नशा करने या उन लड़कों की बात मानने से इन्कार करो तो वे मारपीट करते हैं। नशे के लिए वाइटनर मिलता कहां से है, तो बोलीं कि लत पड़ गई इसलिए बांसमंडी की दुकानों से खरीदकर लाते हैं। पानी में घोल बना लेते हैं। फिर इसमें कपड़ा भिगोकर सूंघते हैं। पुनर्वास का नहीं कोई ठिकाना मुस्तफानगर की एक किशोरी की मां घरों में बर्तन धोती हैं। उन्हें बेटी की फिक्र है। वे चाहती हैं कि कोई अनाथालय उसे रख ले। ताकि वह नशे और अनहोनी घटना से बच जाए। वर्जन -मैं बाहर हूं। मुझे इन बच्चों की जानकारी नहीं है। दो-तीन दिन वैसे भी छुट्टी है। जब लौटकर आऊंगा, तब देखूंगा। अभी इनके संबंध में कुछ नहीं बता सकता। डीएन शर्मा, अध्यक्ष बाल कल्याण समिति

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