नोटबंदी : एसबीआइ में करोड़ों का कालाधन हुआ इधर से उधर, सीबीआइ जांच शुरू
दो वर्ष पहले हुई नोटबंदी के दौरान करोड़ों रुपये के अनधिकृत लेनदेन की सीबीआइ ने जांच शुरू कर दी है।
जेएनएन, बरेली : दो वर्ष पहले हुई नोटबंदी के दौरान करोड़ों रुपये के अनधिकृत लेनदेन के आरोपों में घिरे भारतीय स्टेट बैंक की केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआइ) ने जांच शुरू कर दी। बुधवार को जांच एजेंसी के अधिकारी बैंक की मुख्य शाखा पहुंचे। नोटबंदी के समय खुले नए खातों, इनमें हुए भुगतान आदि के बारे में अधिकारियों, कर्मचारियों से पूछताछ की। करीब पांच घंटे तक सीबीआइ अधिकारी बैंक में रहे। इससे बैंक अफसरों में खलबली मची रही।
आरबीआइ तक शिकायत के बाद सीबीआइ को जांच
केंद्र सरकार ने आठ नवंबर 2016 को 500 व 1000 रुपये के नोटों को प्रतिबंधित कर दिया था। लोगों परेशानी के चलते बैंकों में नोट बदलने की सुविधा दी गई थी। हालांकि, प्रतिदिन जमा व निकासी की सीमा तय थी। उसी दौरान स्टेट बैंक की मुख्य शाखा पर भी गलत तरीके से खातों में काला धन जमा करने के आरोप लगाए गए। शिकायत केंद्र सरकार से लेकर रिजर्व बैंक तक हुई। तब सीबीआइ को जांच सौंपी गई।
अधिकारियों से पूछा, कैसे खोले गए खाते
सीबीआइ अधिकारी दोपहर करीब 12 बजे ही पहुंच गए और शाम पांच बजे ब्रांच बंद होने तक अंदर रहे। इस दौरान अधिकारियों व कर्मचारियों से नोटबंदी के समय भुगतान, भुगतान की लिमिट, आइडी, दिशानिर्देश आदि के बाबत जानकारी ली। उसी वक्त खोले गए नए खाते, उनमें जमा की गई रकम, बदले गए नोटों, निर्धारित मानक के केवाइसी के बारे में भी पूछताछ की। सभी के बयान दर्ज कर सीबीआइ अपनी रिपोर्ट तैयार करेगी।
3000 खातों में हुआ करोड़ों का लेनदेन
आरोपों के अनुसार, 2016 में आठ नवंबर से 31 दिसंबर के बीच एसबीआइ की मुख्य शाखा में करीब 3000 खातों में करोड़ों रुपये का काला धन खपाया गया। इन खातों में करीब आठ सौ बार एक लाख या उससे अधिक की रकम जमा कराई गई। वर्षो से निष्क्रिय पड़े करीब पौने तीन सौ खातों को भी फर्जी आइडी पर सक्रिय कर इनमें लेनदेन भी किया गया। नोटबंदी के दौरान ही 2500 नए खाते खोलने का भी आरोप है। इनमें 53 चालू खाते, 667 बचत खाते, 94 जनधन खाते, 1518 एफडी खाते, 50 पीपीएफ, 13 फेस्टिवल खाते, दो सीनियर सिटीजन खाते और एक सरकारी खाता शामिल है। इन्हें खोलते समय जरूरी दस्तावेजों का भी ध्यान नहीं रखा गया।
कई शहरों में हुई शिकायत
नोटबंदी के दौरान गड़बड़ी की शिकायतें कई शहरों में हुई थी। इसके बाद ही केंद्र सरकार ने सीबीआइ को पड़ताल के लिए लगाया। लखनऊ समेत अन्य शहरों में रिकार्ड खंगाले जा चुके हैं। बुधवार को सीबीआइ टीम बरेली पहुंची थी।