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डीएम के सामने उठा गन्ना उत्पादक डिग्री कालेज विवाद

गन्ना उत्पादक डिग्री कालेज का विवाद मंगलवार को डीएम वीरेंद्र ¨सह के सामने उछाला गया।

By JagranEdited By: Published: Wed, 19 Dec 2018 02:13 AM (IST)Updated: Wed, 19 Dec 2018 02:13 AM (IST)
डीएम के सामने उठा गन्ना उत्पादक डिग्री कालेज विवाद
डीएम के सामने उठा गन्ना उत्पादक डिग्री कालेज विवाद

जेएनएन, बरेली: गन्ना उत्पादक डिग्री कालेज का विवाद मंगलवार को डीएम वीरेंद्र ¨सह के सामने उछाला गया। प्रबंध समिति सदस्य चौधरी गजेंद्र ¨सह, दिनेश सूर्य आदि ने डीएम को दिये प्रार्थना पत्र में कालेज प्रबंधक,उप प्रबंधक व प्राचार्य पर कई गंभीर आरोप लगाये। सदस्यों ने डीएम द्वारा आरोपों की जांच के लिए बनाई गयी जांच कमेटी द्वारा अब तक जांच में तेजी न दिखाये जाने पर भी नाराजगी जताई। मंगलवार को प्रबंध समिति के सदस्यों ने डीएम को बताया गया कि जांच कमेटी जिसमें जिला गन्ना अधिकारी, एसडीएम व उच्च क्षेत्रीय शिक्षा अधिकारी को रखा गया है। उन्होंने ने अब तक जांच आगे नहीं बढ़ाया है। वहीं डीएम वीरेंद्र ¨सह को जब बताया गया कि बनाई गयी जांच कमेटी ने न तो आरोप लगाने वालों से आरोपों से सम्बंधित कागज मांगे है न ही उनसे किसी तरह का सम्पर्क किया है तो उन्होंने हैरानी जताते हुए शिकायती पत्र अपने अर्दली को दे दिया और मामले की जल्द जांच कराने का आश्वासन दिया। जिला पंचायत सदस्य व प्रबंध समिति सदस्य चौधरी गजेंद्र ¨सह का कहना है कि बिना किसी प्रावधान के कालेज प्रबंधक, उप प्रबंधक व प्राचार्य ने निगरानी कमेटी बना डाली। बाद में कमेटी का विस्तार करते हुए स्वयं क्रमश : अध्यक्ष,उपाध्यक्ष तथा सचिव भी बन गये। बाद में कमेटी वित्तीय लेनदेन, प्रवक्ताओं की नियुक्ति आदि पर भी निर्णय लेने लगी। इसकी आड़ में जमकर भ्रष्टाचार का खेल खेला जा रहा है। हमने डीएम से जांच कराकर दोषियों पर सख्त कार्रवाई की मांग की है। गन्ना उत्पादक डिग्री कालेज प्रबंधक केंद्रपाल सिंह गंगवार का कहना है कि विद्यालय की प्रबंध समिति डीएम की अध्यक्षता में हो चुकी है। जिसके बाद सारे आरोप स्वत : ही समाप्त हो जाते हैं। डीएम ने जो भी कमेटी बनाकर आख्या मांगी थी उससे सम्बंधित पत्रावली एसडीएम के माध्यम से उच्च क्षेत्रीय शिक्षा अधिकारी को भेजी जा चुकी है। सत्ता का दबाब बनाकर विधायक व उनके आदमी एक समाजिक संस्था के विकास को रोकना चाहते हैं। कॉलेज के प्राचार्य अखिलेश पांडेय का कहना है कि आरोप पूरी तरह निराधार हैं। कई बार अभिलेख दिखाकर आरोपों को गलत साबित कर चुके हैं। अधिकारियों पर बेवजह दबाब बनाकर संस्था के विकास को रोकने का प्रयास किया जा रहा है।

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