Fake Currency Business : नेपाल के बजाय बांग्लादेश से पनप रहा नकली नोटो का कारोबार, जानिए कैसे
पांच साल पहले तक नेपाल के रास्ते नकली नोटों की खेप पीलीभीत तक आती और वहां से अलग जिलों में सप्लाई कर दिए जाते थे। अब नई करेंसी भी नकली बनाई जाने लगी।
बरेली, जेएनएन। Fake Currency Business : पांच साल पहले तक नेपाल के रास्ते नकली नोटों की खेप पीलीभीत तक आती और वहां से अलग जिलों में सप्लाई कर दिए जाते थे। अब नई करेंसी भी नकली बनाई जाने लगी। इस बार रास्ता नेपाल नहीं बल्कि बांग्लादेश से होकर आ रहा। वहां से पश्चिम बंगाल और फिर पीलीभीत तक खेप पहुंच रही। रविवार को दिल्ली पुलिस ने वहां के दो सप्लायर को पकडा था। जिसके बाद कई जानकारियां मिलीं। दिल्ली की स्पेशल सेल दोनों आरोपितों को लेकर बहेडी पहुंची है। वहां का युवक मुख्य सप्लायर है। उसकी तलाश हो रही।
रैकेट में बरेली के बहेडी कस्बे का युवक भी शामिल। वही बांग्लादेश के रैकेट के सीधे संपर्क में था। पीलीभीत के तस्करों को भी उसी ने नकली करेंसी उपलब्ध कराई। पूछताछ में पता चला कि 60 रुपये की कीमत में सौ का नकली नोट लाकर यहां 80 रुपये में छोटे सप्लायरों को दिया जाता। वहां से बाजार में सौ रुपये में चलाया जाता। नेपाल- पीलीभीत बार्डर पर निगरानी तेज होने के कारण उस रास्ते खेप आना बंद हो गई है। जिसके बाद तस्कर बांग्लादेश से पश्चिम बंगाल के मालदा जिले का एक गांव बार्डर है। उसी गांव के जरिये बांग्लादेश नकली नोटों की भारत मे सप्लाई कर रहा है।
दिल्ली में पकड़े गए तस्कर भी वही से नोट लेकर आये थे।बीएसएफ के राउंड के बाद होती है तस्करी मालदा का जो गांव बांग्लादेश बार्डर पर वह बीएसएफ एक बार बार्डर पर गश्त करती है। जैसे ही तस्करो को पता लगता है कि बीएसएफ गश्त कर जा चुकी है बांग्लादेश के तस्कर नकली नोटों की 50 हजार से एक लाख की गड्डियों के पैकेट हवा में उछाल कर भारत की तरफ फेकते है। जिसके बाद उस गांव का तस्कर नाबालिग बच्चों के माध्यम से नोटों की गड्डियां गांव मंगवाता है। वहाँ से मालदा रेलवेस्टेशन पास है।
जिसके बाद देश भर में नोटों की सप्लाई ट्रेन के जरिये तस्कर करते है। गंगा पारकर झारखंड पहुच जाते है तस्कर जानकारों की माने तो मालदा के मोहब्बतपुर गांव से नकली नोट की तस्करी होती है गांव गंगा किनारे है। गंगा पार कर तस्कर उस पर झारखंड के बॉर्डर पर पहुच जाते है। जनवरी 2018 से जनवरी 2020 ला पकड़े 107 करोड जनवरी 2018 में बीएसएफ ने बांग्लादेश बार्डर पर 53 करोड़ के नकली नोट पकड़े 2019 में 51 करोड़ों जबकि जनवरी 2020 में 1 महीने में 3 करोड़ के नोट पकड़े जा चुके है। एक बदले तीन नोट जानकारों की माने तो नेपाल और बांग्लादेश के जरिये आने वाले नकली नोट हाई क्वलिटी के है।
तस्कर एक असली नोट देकर तीन नकली नोट लेता है। बड़े तस्कर छोटे तस्करो के जरिये रकम मंगाते है। सप्लायरों को एक बदले दो नोट बाजार में नकली नोट खपाने वालों को एक के बदले दो नकली नोट दिए जाते है। एक नोट का सीधा फायदा नकली नोट के कारोबारी को होता है। पड़ोसी देश के राष्ट्रीय प्रिंटिंगप्रेस में छपते है नोटकई बार नकली नोट के साथ तस्कर पकड़े गए। खुफिया इकाइयों ने जांच भी की। पता चला कि एक पड़ोसी देश के राष्ट्रीय प्रिंटिंगप्रेस में ये नकली नोट छापे जाते है।फायदे की रकम से होती है टेरर फंडिंग डीआइजी ने बताया कि कई बार इस नेटवर्क के जरिये और पकड़े गए लोगों से पूछताछ की। चौकाने वाले बातें सामने आई। नकली नोट से होने वाला बड़ा मुनाफा टेरर फंडिंग को जाता है।
पीलीभीत नेपाल पर बेहद सख्ती है। अब बांग्लादेश पश्चिम बंगाल के मालदा जिले के मोहब्बतपुर के जरिये मालदा पहुचते है। जिसके बाद देशभर में इनकी सप्लाई होती है।राजेश पाण्डेय, डीआइजी