मोसुल में बसे अपनों के लिए फिक्रमंद
-बरेली के सेंथल के कई लोग ईराक में कर रहे पढ़ाई -मोसुल में ही आइएसआइएस ने 39 भा
जागरण संवाददाता, बरेली : विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने सोमवार को जब ईराक के मोसुल शहर में 39 भारतीयों की हत्या किए जाने का समाचार देश को सुनाया, तब परदेश में रहने वाले हर ¨हदुस्तानी का ख्याल उनके अपनों के जहन में कौंध उठा। खासतौर से बरेली के कस्बा सेंथल के लोगों के मन में। यहां के कई लोगों के रिश्तेदार व भाई-बहन मोसुल शहर में रहते हैं। वहां के हालात के मद्देनजर अपनों के सुरक्षित रहने को लेकर हर कोई फिक्र कर रहा है।
सेंथल के मौलाना आकिब हैदर अपनी बीवी इरम के साथ मोसुल शहर में ही पढ़ाई कर रहे हैं। आकिब के मौसेरे भाई जौहर अब्बास कहते हैं कि आइएसआइएस के चंगुल में फंसे 39 भारतीयों के कत्ल किए जाने की खबर सुनकर बहुत धक्का लगा। तत्काल भाई से फोन पर बात की, तब उन्होंने खुद को महफूज बताया। आकिब के हवाले से जौहर बताते हैं कि अब मोसुल के हालात 2014 के अपेक्षा बेहतर हो गए हैं। आतंकी संगठन आइएसआइएस वहां से खदेड़ा जा चुका है। फिर भी वहां के पुराने हालात को देखते हुए हर वक्त अपनों की फिक्र तो रहती ही है। सेंथल के ही शाहीन रजा का मोसुल आना-जाना रहता है। वे पांच बार वहां जा चुके हैं। छठी बार बकरीद में जाने की तैयारी में है। शाहीन बताते हैं कि मोसुल बड़ी ही तहजीब वाला शहर है। चार साल पहले आंतकी संगठन ने यहां बड़े पैमाने पर जुल्म ढाया। मगर अब सुकून है। वो कहते हैं कि हमारे रिश्तेदार, शाहिद रजा, मो. हैदर नजफ मोसुल शहर में रहकर पढ़ाई कर रहे हैं। उनसे बातचीत होती रहती है। वो लोग सुरक्षित हैं।
¨हदुस्तान से ज्यादा सुकून कहीं नहीं
जौबर बताते हैं कि आकिब से जब भी बात होती तो वो कहते हैं कि ¨हदुस्तान से ज्यादा सुकून कहीं नहीं है। क्योंकि मुस्लिम देशों में मार-काट, दहशत का आलम है। जबकि भारत में मुसलमानों को हर तरह की आजादी है।