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बड़ा सवाल, कोवैक्सीन खुलने के कितनी देर बाद खराब हो जाती है, जानें क्या कहती है सरकार और कंपनी

वैक्सीन को लेकर गफलत बरकरार है। एक तरफ सरकार ने निजी अस्पतालों को कोविड वैक्सीन सीधे फार्मा कंपनियों से खरीदने को कहा है। वहीं दूसरी ओर वैक्सीन किस तरह लगाई जाएगी इसके दिशा-निर्देश और निगरानी सरकार स्वास्थ्य विभाग से ही करा रही है।

By Samanvay PandeyEdited By: Published: Thu, 17 Jun 2021 12:52 PM (IST)Updated: Thu, 17 Jun 2021 12:52 PM (IST)
बड़ा सवाल, कोवैक्सीन खुलने के कितनी देर बाद खराब हो जाती है, जानें क्या कहती है सरकार और कंपनी
कोवैक्सीन बनाने वाली कंपनी के प्रोडक्ट इन्सर्ट में 28 दिन तक खुली वैक्सीन ठीक होने का है दावा।

बरेली, जेएनएन। वैक्सीन को लेकर गफलत बरकरार है। एक तरफ सरकार ने निजी अस्पतालों को कोविड वैक्सीन सीधे फार्मा कंपनियों से खरीदने को कहा है। वहीं, दूसरी ओर वैक्सीन किस तरह लगाई जाएगी, इसके दिशा-निर्देश और निगरानी सरकार स्वास्थ्य विभाग से ही करा रही है। इस पर निजी अस्पताल विरोध कर रहे हैं।सरकार की गाइडलाइन की मुताबिक कोवैक्सीन खुलने के बाद चार घंटे के अंदर उपयोग होनी है। जबकि कंपनी के प्रोडक्ट इन्सर्ट (पीआइ) के मुताबिक तय तापमान यानी दो से आठ डिग्री सेल्सियस में रखने पर खुली वैक्सीन का उपयोग भी 28 दिन तक किया जा सकता है। ऐसे में निजी स्तर पर वैक्सीन खरीदकर लगा रहे डॉक्टरों के लिए टीकाकरण करना परेशानी बन गया है।

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12,600 की वायल, कैसे कर दें खराब : वरिष्ठ बाल रोग विशेषज्ञ डॉ.अतुल अग्रवाल बताते हैं कि कोवैक्सीन की एक वायल की कीमत जीएसटी समेत करीब साढ़े बारह हजार रुपये है। टीकाकरण का सर्विस चार्ज 150 रुपये मिलाकर 1410 रुपये कीमत ली जाती है। यानी प्रति डोज 1260 रुपये खर्च होते हैं। ऐसे में सरकारी सिस्टम से चार घंटे में वायल खराब मानें तो कोई भी डॉक्टर टीकाकरण नहीं कर सकेगा। क्योंकि सरकारी सिस्टम से चार घंटे में एक डोज भी खराब होने पर नुकसान ही है। इसके अलावा किसी भी फार्मा कंपनी का प्रोडक्ट इन्सर्ट ही महत्वपूर्ण और कानूनी रूप से भी मान्य होता है।

क्लास-4 स्टेबलाइजर्स से बढ़ी है क्षमता : वैक्सीन में स्ट्रक्चर को मेनटेन करने के लिए उच्च कोटि के रसायन का प्रयोग करते हैं। इसी के उच्चस्तरीय ग्रेड को स्टेबलाइजर-4 कहते हैं। डॉ.अग्रवाल बताते हैं कि इसी स्टेबलाइजर की वजह से वैक्सीन को तय मानक में खुला रखने पर उसकी क्षमता में इजाफा हुआ है। लेकिन सरकारी सिस्टम पुराने नियम को ही चला रहा है।

निजी अस्पताल में अलग-अलग डेटा की जरूरत नहीं : सरकारी सिस्टम में 8 प्लस और 45 प्लस आयुवर्ग के लिए अलग-अलग स्लाट बुकिंग व्यवस्था है। ये तब जरूरी थी जब भीड़ ज्यादा थी। वहीं निश्शुल्क टीकाकरण की वजह से वहां लोग वैक्सीन लगाने के लिए इंतजार कर सकते हैं। लेकिन जब दोनों आयुवर्ग के लिए वैक्सीन समान हैं, ऐसे में निजी अस्पताल दोनों आयुवर्ग में अलग-अलग वायल से वैक्सीन क्यों लगाएं, जबकि इससे वैक्सीन खराब होने की संभावना ज्यादा हैं। इसी वज से कोविन एप पर डेटा भी फीड करने में परेशानी आ रही है।


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