SCAM In MJPRU : रुहेलखंड विश्वविद्यालय में करोड़ों का घपला, कुलपति और वित्त अधिकारी पर लगे गंभीर आरोप Bareilly News
रुहेलखंड विश्वविद्यालय में एक बार फिर बड़ी वित्तीय अनियमितता अौर कमीशन का खेल सामने आया है। इस बार सीधे आरोप कुलपति प्रो. अनिल शुक्ल और वित्त अधिकारी सुरेश उपाध्याय पर लगे हैं।
जेएनएन, बरेली : एमजेपी रुहेलखंड विश्वविद्यालय में करोड़ों का घपला सामने आया है। विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. अनिल शुक्ल व वित्त अधिकारी सुरेश उपाघ्याय पर गंभीर आरोप लगे हैं। विवि प्रशासन पर आरोप है कि उसने 150 करोड़ रुपये पंजाब नेशनल हाऊसिंग सोसाइटी में लगाया है। यह पैसा पेंशन फंड एफडी से निकला गया था। शिकायत पर पूरा मामला शासन तक पहुंचा है। जिस पर जांच के निर्देश हुए हैं।
दरअसल, महात्मा ज्योतिबा फुले रुहेलखंड विश्वविद्यालय में करीब 300 करोड़ रुपये बचत का है। इसमें 100 करोड़ रुपये पेंशन फंड के अंतर्गत सुरक्षित एफडी में जमा करने का टारगेट है। पिछले दो सालों में विवि प्रशासन की ओर से जो एफडी मैच्योर होती गयीं। वो धनराशि विवि प्रशासन अपनी तरह से खर्च करता रहा। जिस पर करीब 150 करोड़ रुपये पंजाब नेशनल हाऊसिंग सोसाइटी में लगाने की शिकायत हुई हैं। हालांकि, विवि के वित्त अधिकारी सुरेश उपाध्याय का तर्क है कि 150 करोड़ रुपये पंजाब नेशनल हाऊसिंग सोसाइटी में लगाने की बात गलत है। विवि ने करीब 35 करोड़ रुपये ही लगाए हैं। क्योंकि वहां करीब डेढ़ फीसद ब्याज ज्यादा मिलता है। पूरे प्रकरण में कुलपति प्रोफेसर अनिल शुक्ल और वित्त अधिकारी पर गंभीर आरोप लगाते हुए शासन से शिकायत की गई है। जिस पर उच्च शिक्षा अधिकारी ने जांच कराने की बात कही है। मंगलवार सुबह यह प्रकरण विवि कैंपस में चर्चा में बना रहा।
कुलपित व वित्त अधिकारी ने की बैठक
प्रकरण सुर्खियां में आने के बाद कुलपति और वित्त अधिकारी मंगलवार सुबह विवि पहुंचे। जहां दोनों ने विवि के अधिकारियों के साथ बैठक की। बैठक में प्रकरण से जुड़े मुद्दों पर चर्चा की गई।
पीएसी भी कर चुकी है वित्तीय अनियमितता की जांच
इससे पहले पिछले साल रुहेलखंड विश्वविद्यालय में वित्तीय अनियमितताओं का मामला विधानसभा में उठा था। तब पर्लियामेंट्री अकाउंट कमेटी (पीएसी) ने विश्वविद्यालय पहुंचकर ऑडिट किया था। ऑडिट के दौरान भी कई गड़बड़ी सामने आई थी।
कोई घोटाला नहीं हुआ, हाउसिंग सोसायटी में लगाया है पैसा
वित्त अधिकारी सुरेश उपाघ्याय का कहना है कि विवि ने 35 करोड़ के करीब रुपया हाउसिंग सोसायटी में लगाया है। दूसरे विवि भी इसमें निवेश करते हैं। कोई घोटाला नहीं है बल्कि छवि खराब करने का प्रयास है। जांच में सब स्पष्ट हो जाएगा।