बरेली के रामगंगा पुल की एक करोड़ से की गई थी मरम्मत, आठ माह में ही पुल की सड़क पर बने गड्ढे
पीडब्ल्यूडी में मरम्मत के नाम पर बड़ा खेल सामने आया है। रामगंगा नदी पर बने पुराने पुल की मरम्मत पर मोटी रकम खर्च होने के बावजूद वहां सड़क खराब हो गई है। सड़क पर कई जगह बड़े पैच बन गए हैं। एक्सपेंशन ज्वाइंट के पास भी सड़क उखड़ी है।
बरेली, जेएनएन। पीडब्ल्यूडी में मरम्मत के नाम पर बड़ा खेल सामने आया है। रामगंगा नदी पर बने पुराने पुल की मरम्मत पर मोटी रकम खर्च होने के बावजूद वहां सड़क खराब हो गई है। सड़क पर कई जगह बड़े पैच बन गए हैं। एक्सपेंशन ज्वाइंट के पास भी सड़क उखड़ी है। कोलतार की परत के नीचे सीसी स्लैब दिखाई देने लगा है। रामगंगा नदी पर बना वर्षों पुराना पुल काफी जर्जर हो चुका था। उसकी रेलिंग टूट गई थी, सड़क पर कई जगह गड्ढे हो गए थे। इसके साथ ही नीचे की ओर कई बेयरिंग भी खराब हो गए थे। पास में नया पुल निर्माण के बाद पुराने पुल की मरम्मत के लिए प्रयास शुरू हुए।
शासन ने पीडब्लयूडी की ओर से तैयार करीब एक करोड़ रुपये के एस्टीमेट को मंजूर कर धन का आवंटन किया। दिसंबर 2020 में पुराने पुल को मरम्मत के लिए बंद कर दिया गया। पीडब्ल्यूडी ने पुल की मरम्मत का काम कार्यदायी संस्था एएम बिल्डर को दिया। कार्यदायी संस्था ने पुल की रेलिंग, बेयरिंग बदलने, एक्सपेंशन ज्वाइंट बनाने के साथ ही कोलतार की पतली परत भी पुल पर डाल दी। पुल की रंगाई पुताई कर उसे नया जैसा बना दिया था। सहायक अभियंता कुमार शैलेंद्र, अवर अभियंता दुष्यंत सिंह, पंकज कुमार की देखरेख में करीब दो माह में मरम्मत का काम पूरा हुआ। अब आठ माह में ही पुल पर कई जगह पैच हो गए हैं। वहां से कोलतार की परत हट गई है। नीचे सीसी स्लैब दिखाई दे रहा है।
एक्सपर्ट की बातः सिविल इंजीनियर आनंद प्रकाश अग्रवाल ने बताया कि सीसी स्लैब के ऊपर कोलतार की सड़क डालना ही गलत है। वह उससे टिकी नहीं रह सकती है। कोलतार की ढाई-तीन इंच की परत वाहनों के टायरों में चिपककर ही उखड़ सकती है। इतने कम समय में परत उखड़ना गड़बड़ी की ओर इशारा कर रहा है। पीडब्ल्यूडी के अधिशासी अभियंता नारायण सिंह ने बताया कि रामगंगा पुल पर पैच बनने की जानकारी नहीं है। हमारे आने के पहले यह काम हुआ है। यह मार्ग एनएचएआइ के हवाले हो चुका है। फिर भी अगर पुल पर पैच हुए हैं तो उन्हें ठीक करवा दिया जाएगा।