Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    बरेली में 69 करोड़ की अस्पताल की बिल्डिंग, सीलन और टूटी लाइटें, 3 साल में जर्जर हुआ आधुनिक अस्‍पताल

    Updated: Fri, 14 Nov 2025 04:23 PM (IST)

    बरेली में 69 करोड़ रुपये से बना तीन सौ बेड का नवनिर्मित अस्पताल तीन साल में ही जर्जर हो गया। बिल्डिंग में सीलन, टूटी लाइटें और कबाड़ बने स्वास्थ्य उपकरण मरीजों की परेशानी बढ़ा रहे हैं। रखरखाव फंड की कमी और प्रशासनिक लापरवाही से मरीजों की उम्मीदें टूटीं।

    Hero Image

    तीन सौ बेड अस्पताल में टूट रही फाल्स सीलिंग और लाइटें। जागरण

    अनूप गुप्ता, जागरण, बरेली। मरीजों को आधुनिक और सस्ती दवाएं उपलब्ध कराने के लिए नवनिर्मित तीन सौ बेड अस्पताल में लगाई गई 69 करोड़ की रकम बर्बाद हो रही है। हाल ये है कि इस बिल्डिंग में अभी से ही काफी सीलन आ गई है। फाल्स सीलिंग और उसमें लगाईं गईं महंगी लाइटें उधड़नी शुरू हो गई है।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    इतना ही नहीं, मरीजों के लिए मंगवाए गए बेड तमाम मशीनें सहित अन्य स्वास्थ्य सेवा से जुड़े उपकरण भी या तो कबाड़ हो चुके हैं, या फिर वे बर्बाद होने की कगार पर पहुंच चुके हैं। स्वास्थ्य अधिकारी बिल्डिंग और सामान के रखरखाव की ओर से आंखें मूंदकर बैठ गए हैं।

    Untitled design (3)

    जिला व महिला अस्पताल में अलावा मरीजों को बेहतर और सस्ती स्वास्थ्य सेवाएं मिलें, इसके लिए शासन ने तीन सौ बेड के लिए दिल खोलकर धनराशि खर्च की। मार्च 2013 से इस अस्पताल को बनाने का प्रोजेक्ट शुरू हुआ। करीब 10 साल बाद जुलाई 2022 में इसका संचालन शुरू कर दिया गया।

    करीब 14 एकड़ में बने इस हास्पिटल को बनाने में तकरीबन 69 करोड़ की रकम खर्च भी कर डाली गई, लेकिन इसके बाद शासन से लेकर स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों तक आधुनिक अस्पताल को उसके भरोसे छोड़ दिया गया। अब हाल ये है कि अस्पताल की बिल्डिंग में जगह-जगह सीलन आने के साथ उधड़नी शुरू हो गई है। फाल्स सीलिंग और उसमें लगाई गईं महंगी लाइटें उधड़कर टूटने और गिरने लगी हैं।

    Untitled design (4)

    इतना ही नहीं, यहां प्रथम तल पर मेडिसिन स्टोर के पास बड़े से हाल में मरीजों के लिए आए बेेड, कुर्सियां सहित दूसरे सामने कबाड़ की तरह छोड़ दिए गए हैं। जिनका शायद अब तक एक बार भी इस्तेमाल नहीं किया गया था। इसके अलावा बंद लिफ्ट, जगह-जगह टूटे केबिन व शीशे, मकड़ी के जाले देखकर करोड़ों रुपये की बर्बाद होती रकम को आसानी से देखा जा सकता है।

    आज तक नहीं मिला वार्षिक मरम्मत के लिए फंड

    तीन सौ बेड अस्पताल बनने के बाद से आज तक इस बिल्डिंग की मरम्मत नहीं कराई जा सकी है। अधिकारी इसकी वजह बताते हैं कि अस्पताल के हैंडओवर होने के बाद से अब तक वार्षिक मरम्मत के लिए जो फंड जारी होता है, वह अब तक आवंटित नहीं हुआ है। इसके लिए कई बार शासन को भी अवगत कराया गया लेकिन अब तक कोई सुनवाई नहीं हो सकी।

    नेताओं की कमजोर पैरवी तोड़ रही मरीजों की उम्मीद

    एक तरफ मंच पर बेहतर स्वास्थ्य सेवाओं का दावा करते नहीं थकने वाले हमारे जनप्रतिनिधियों को तीन सौ बेड अस्पताल के बदसूरत होने, झाड़ियां उगने और कबाड़ हो रहे स्वास्थ्य उपकरण नहीं दिखाई दे रहे हैं। यहां आंख और नाक-कान के डाक्टरों को छोड़ दें तो मरीजों के लिए कोई सुविधा ही नहीं है। बड़ी जांच के नाम पर यहां सीटी स्कैन ही हो पा रहा है। शासन ने अब तक यहां दूसरे तमाम चिकित्सकों की तैनाती तो दूर स्टाफ स्ट्रक्चर तक तैयार नहीं किया है। इसके लिए नेताओं की कमजोर पैरवी मरीजों की उम्मीदों को तोड़ रही है।

     

    तीन सौ बेड हास्पिटल के लिए अभी मेंटीनेस फंड नहीं मिला है। शासन से कई बार कहा जा चुका है। इसका बजट मिलते ही व्यवस्थाओं में सुधार कराया जाएगा।

    - डा. इंतेजार हुैसन, प्रभारी सीएमएस, तीन सौ बेड अस्पताल


    यह भी पढ़ें- आयुष्मान कार्ड फर्जीवाड़े में आधार से लिंक मोबाइल नंबर बदलने वालों की तलाश, UIDAI से मांगी गई जानकारी

     

    यह भी पढ़ें- फ्री अल्ट्रासाउंड सुविधा धरी रह गई, मरीज निजी सेंटरों में देने को मजबूर हजारों रुपए