भूगर्भ जल से आर्सेनिक का सफाया करेंगे बरेली के इस विश्वविद्यालय के वैज्ञानिक Bareilly News
उत्तर प्रदेश दिल्ली पंजाब और हरियाणा में लोगों के घरों तक सप्लाई होने वाले भूगर्भ जल की जांच कभी भी करा लीजिए आपको आर्सेनिक का काफी अंश उसमें मिलेगा।
हिमांशु मिश्र, बरेली : उत्तर प्रदेश, दिल्ली, पंजाब और हरियाणा में लोगों के घरों तक सप्लाई होने वाले भूगर्भ जल की जांच कभी भी करा लीजिए, आपको आर्सेनिक का काफी अंश उसमें मिलेगा। यही वह भारी तत्व है जिसने 70 फीसद कैंसर रोगी दिए हैं। अब इस हानिकारक आर्सेनिक को भूगर्भ जल से निकालने का काम रुहेलखंड विश्वविद्यालय के वैज्ञानिक करेंगे। इसके लिए यूपी स्टेट साइंस एंड टेक्नोलॉजी ने विश्वविद्यालय के प्लांट साइंस वैज्ञानिकों को 12 लाख का अनुदान दिया है।
पौधों की मदद से करेंगे काम
शोध पर काम करने वाले प्रो. आलोक श्रीवास्तव बताते हैं कि भूगर्भ जल में मौजूद आर्सेनिक ने लोगों को तेजी से शिकार बनाना शुरू कर दिया है। इसमें आर्सेनिक के अलावा कैडमियम, लैड और मरकरी भी शामिल होते हैं। पानी में यह आसानी से घुल जाता है। इसलिए उन तत्वों की मदद लेनी पड़ेगी जो इन भारी तत्वों को खींचने में कामयाब हों। अभी खस घास, गेंदा, सूरजमुखी और सरसों जैसे पौधों ने काफी अच्छा रिजल्ट दिया है। कई नए पौधे भी खोजे जा रहे हैं जो भूगर्भ जल से आर्सेनिक को अलग करने की क्षमता रखते हों।
हैंडपंप, तालाब के किनारे लगाए जाएंगे पौधे
डॉ. आलोक बताते हैं कि आर्सेनिक को पानी से अलग करने के लिए हैंडपंप, तालाब, कुंआ के किनारे उन पौधों को लगाया जाएगा जो पानी से भारी तत्वों को खींचने की क्षमता रखते हैं। फिर उन पौधों को जलाकर उसमें से आर्सेनिक निकाल लिया जाएगा। यहकाफी महंगे दामों पर बेचे जा सकते हैं और कई काम में इसका प्रयोग भी हो सकता है। जबकि अन्य भारी तत्वों को नष्ट कर दिया जाएगा। बताया कि उत्तर प्रदेश, दिल्ली, पंजाब और हरियाणा में पानी में आर्सेनिक की मात्रा अधिक रहती है।