Bareilly News: बरेली में 15 साल पुराने मामले में कोर्ट ने की टिप्पणी, लिखा- Law and Order लचर इन बरेली
Bareilly Law and Order News बरेली में जब फैसले का वक्त आया तब मुल्जिम गायब हो गया।पुलिस उसे खोज नहीं पाई। जिसको लेकर कोर्ट ने अपनी नाराजगी जताई। कोर्ट ने अपनी टिप्पणी में लिखा कि बरेली में कानून व्यवस्था लचर है। इसमें सुधार की जरूरत हैं।
बरेली, जागरण संवाददाता। Bareilly Law and Order News : यूपी के बरेली में 15 साल पुराने मामले में जब फैसले की बारी आई तब मुल्जिम गायब हो गया। अदालत (Court) ने आरोपित को दोषी घोषित करके बीते 16 सितंबर को उसकी गिरफ्तारी के आदेश दिए थे। पुलिस को तीन दिन में दोषी को गिरफ्तार करने की हिदायत दी गई लेकिन पुलिस दोषी को नहीं पकड़ पाई।
ऐसी स्थिति में अदालत ने एसएसपी को पूरा मामला रेफर कर दिया। फिर भी स्थिति में कोई सुधार नहीं हुआ। गुरुवार को कोर्ट ने पुलिस की कार्यप्रणाली पर टिप्पणी करते हुए जिले की कानून व्यवस्था (Law and Order) को लचर बताया है।अदालत ने कहा कि जिले की कानून व्यवस्था बेहद लचर है, जिसमें सुधार की जरूरत है।
वारदात 15 साल पुरानी है जिसमें मुलजिम 12 साल तक कोर्ट नहीं आया। जब निर्णय की बारी आई तो फिर फरार हो गया। अदालत ने पुलिस को दोषी की गिरफ्तारी के आदेश दिए थे। कोर्ट ने 19 सितंबर सुनवाई की तारीख नियत करके एसएसपी को मामला अग्रेषित कर दिया। इसके बावजूद पुलिस के रवैये में कोई तब्दीली नहीं दिखी।
कोर्ट ने कहा कि यह बेहद चिंता का विषय है। गुरुवार को कोर्ट ने मामले को आइजी जोन को भेजा है। कोर्ट ने आदेश में कहा कि मामला नक़ली नोटों के कारोबार से जुड़ा है। जमानतियों को नोटिस के बावजूद पुलिस ने आदेश पर अमल नहीं किया और ना कोई जवाब ही भेजा। पुलिस जमानतियों तक को तलाश नहीं कर पाई।
बता दें इज्जतनगर पुलिस ने वर्ष 2004 में शरीफ उर्फ गुड्डू के विरुद्ध नकली नोटों की बरामदगी के मामले में प्राथमिकी लिखी थी। स्पेशल जज एफटीसी निर्दोष कुमार ने मामले की अगली सुनवाई 29 सितंबर को नियत की है। कोर्ट ने जमानतियों के जमानतनामे भी जब्त करके उनके विरुद्ध सुनवाई शुरू कर दी है। स्पेशल जज ने आइजी रेंज से पुलिस टीम गठित करके दोषी को गिरफ्तार करने के आदेश दिए हैं।
बीते दिनों सिविल कोर्ट ने भी लगाई थी पुलिस की फटकार
बीते दिनों लघुवाद न्यायाधीश रवि कुमार दिवाकर भी बरेली पुलिस को कड़ी फटकार लगा चुके हैं। पुलिस ने अदालत के आदेश की तामील कराने पहुंचे कोर्ट अमीन के विरुद्ध ही प्राथमिकी लिख ली थी। अदालत की सख्ती के बाद पुलिस बैकफुट पर आई थी और प्राथमिकी भी निरस्त कर दी। आय दिन ऐसे मामले सामने आने से पुलिस की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े हो रहे हैं।