हरिवंशराय के पत्र से खुला बच्चन परिवार का बड़ा राज, बीएससी के बाद पढ़ना नहीं चाहते थे अमिताभ बच्चन
Harivansh Rai Bachchan Secret बरेली के बाल साहित्यकार निरंकार देव सेवक को लिखे पत्र में हरिवंश राय ने बच्चन परिवार के बड़े राज खोले है। पत्र में उन्होंने बरेली में घर बनाने की इच्छा का जिक्र किया था।
By Ravi MishraEdited By: Updated: Sat, 09 Jul 2022 03:53 PM (IST)
बरेली, पीयूष दुबे। Harivansh Rai Bachchan Secret : बालीवुड के महानायक अमिताभ बच्चन का कद फिल्म इंडस्ट्री में जितना बड़ा है, उससे कम उनका संघर्ष भी नहीं है।अमिताभ बच्चन ने यह मुकाम हासिल करने में अथक प्रयास किये। अमिताभ बच्चन ने बीएससी करने के बाद आगे पढ़ाई करने से इन्कार कर दिया था।वह नौकरी करके अपने करियर को संवारना चाहते थे। प्रसिद्ध कवि हरिवंशराय बच्चन ने बरेली के बाल साहित्यकार निरंकार देव सेवक को लिखे पत्र में इसका जिक्र किया था।हरिवंश राय खुद भी बरेली में बसने की इच्छा रखते थे।
हरिवंशराय बच्चन ने 24 अप्रैल 1963 को निरंकार देव सेवक को भेजे पत्र में यह उल्लेख किया था।वह लिखते हैं कि भाई निरंकार, मेरा कार्ड मिल गया होगा। तुम्हें जमीन मिल गई है तो जरूर ले लो। मेरे पास न तो जमीन खरीदने को रुपया है न मकान बनाने को।मकान भी बना लो।एक छोटा काटेज ऐसा भी सोचकर बना लो कि यह बच्चन के लिए है।शायद रिटायर होकर तुम्हारे पास ही आ जाऊं।हमारी अवधी में एक गीत गाते हैं, ' ना जानै राम कहां लागै माटी', पता क्या बरेली की ही माटी बदी हो।पिछले नवंबर में मुझे रिटायर होना था पर अब तीन बरस की अवधि और बढ़ गई है।अमित यानी कि अमिताभ बच्चन बीएससी कर चुके हैं।आगे पढ़ना नहीं चाहते हैं।किसी फर्म की नौकरी की तलाश में हैं।अजित ने सीनियर कैंब्रिज किया।अभी तीन-चार वर्ष उन्हें पढ़ना है।
बच्चन यह भी लिखते हैं कि नेशनल डिफेंस कौंसिल की ओर से कवियों लेखकों को मोर्चा देखने के लिए अभी तो नहीं भेजा रहा है।मोर्चा है भी कहां ! युद्ध संबंधी तुम्हारी रचनाएं देखीं देश को शब्द से कुछ ज्यादा मजबूत चीजें चाहिएं।आशा है बहुरानी और बच्चा सानंद हैं।सस्नेह बच्चन
1963 में हरिवंश राय के पास नहीं घर बनवाने के लिए रुपयेप्रसिद्ध कवि हरिवंशराय बच्चन की कविताएं देश दुनियां में अपनी पहचान बना रही थीं लेकिन उनके पास सेवानिवृत्त होने के समय यानी कि वर्ष 1963 में घर बनवाने के रुपये नहीं थे।हरिवंशराय ने आठ अप्रैल 1963 को निरंकार देव सेवक को लिखे पत्र में लिखा था कि प्रिय निरंकार, 15 अगस्त 1962 को तुम्हारा पत्र मिला था।
मैं इधर कुछ अधिक कार्य व्यस्त रहा जिससे उत्तर न दे सका।आशा है तुमने वह जमीन ले ली है।घर बनाने की बात मैंने फिलहाल तो अपने मन से निकाल दी है।रिटायर होने पर कुछ न कुछ प्रबंध करना होगा। वैसे मेरे पिता का बनवाया एक घर इलाहाबाद में है। कुछ और प्रबंध न हुआ तो उसमें तो हम लोग जाकर रह ही सकते हैं।घर पक्का है और काफी बड़ा है, और उसकी स्थिति भी खराब नहीं है। जमुना के किनारे है। पता नहीं तुमने वह घर देखा कि नहीं, तुम्हारा घर बन जाए तो देखने बरेली आऊंगा। तेजी और बच्चे अच्छे हैं। आशा है तुम सपरिवार स्वस्थ प्रसन्न हो। अजित सीनियर कैंब्रिज परीक्षा प्रथम श्रेणी में पास हुए हैं। तुम्हारा बच्चन
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