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बरेली की कैंट रोड से Translocate किए गए पेड़ों में आनें लगीं शाखाएं, जानिये क्यों और कैसे हटाए गए थे पेड़

पेड़ों की अहमियत इस वक्त पता चल रही है। वातावरण में प्रदूषण पहले ही बहुत था अब कोरोना काल में आक्सीजन की जरूरत बढ़ गई है। दैनिक जागरण का छोटा सा प्रयास बड़ा रंग लाया। कैंट में ओवरब्रिज निर्माण के लिए काटे जा रहे 44 पेड़ों को ट्रांसलोकेट किया गया।

By Samanvay PandeyEdited By: Published: Sun, 16 May 2021 11:39 AM (IST)Updated: Sun, 16 May 2021 11:39 AM (IST)
बरेली की कैंट रोड से Translocate किए गए पेड़ों में आनें लगीं शाखाएं, जानिये क्यों और कैसे हटाए गए थे पेड़
दैनिक जागरण का प्रयास रंग लाया, ट्रांसलोकेट किए गए 44 पेड़ों में से करीब 25 पेड़ों ने पकड़ी जमीन।

बरेली, (अशोक आर्य)। पेड़ों की अहमियत इस वक्त पता चल रही है। वातावरण में प्रदूषण पहले ही बहुत था, अब कोरोना काल में आक्सीजन की जरूरत बढ़ गई है। ऐसे में दैनिक जागरण का छोटा सा प्रयास बड़ा रंग लाया है। कैंट क्षेत्र में ओवरब्रिज निर्माण के लिए काटे जा रहे 44 पेड़ों को जागरण की पहल पर दूसरी जगह ट्रांसलोकेट किया गया। अब आधे से अधिक पेड़ों में नई शाखाएं और पत्तियां निकल आई हैं। यानी आक्सीजन का बड़ा भंडार कटने से बच गया है। इतना ही नहीं वर्षों पुराने इन पेड़ों में फिर से पक्षियों के चहचहाने और तमाम जीवों के निवास करने की उम्मीद भी बढ़ गई है।

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वर्षों पुराने पेड़ों को काटने की थी तैयारी : लालफाटक रेलवे क्रासिंग के पास से कैंट की ओर सेतु निगम को करीब ढाई सौ मीटर पुल का निर्माण करना है। इसके लिए वहां वाहनों को निकलने को सर्विस रोड बनाई जानी है। वहां सर्विस रोड की नापजोख में करीब 44 पेड़ आड़े आ रहे थे। सेतु निगम ने इन पेड़ों को काटने के लिए कैंट बोर्ड को चिट्ठी लिख दी दी। इसके साथ ही इन पेड़ों को काटने के लिए चिह्नित कर वहां निशान भी लगा दिए गए थे। इनमें पाकड़, नीम, आम, कंजी, सालकोजी समेत अन्य पेड़ शामिल थे।

जागरण की पहल पर डीएम ने दिखाई सक्रियता : पेड़ों के काटने की जानकारी होने पर दैनिक जागरण ने प्राणवायु देने वाले वर्षों पुराने पेड़ों को बचाने के लिए अभियान शुरू किया। तमाम संगठनों के लोगों ने पेड़ों को बचाने के लिए आवाज उठाई। पेड़ों को काटने के बजाए इन्हें ट्रांसलोकेट करने वाली तकनीक के बारे में भी बताया। इस पर डीएम नितीश कुमार सक्रिय हुए। उन्होंने सेतु निगम को पेड़ों को ट्रांसलोकेट कराने को कहा। इतना ही नहीं डीएम ने सभी विभागों को लिखित आदेश जारी कर पेड़ों को काटने नहीं बल्कि उन्हें ट्रांसलोकेट किए जाने को कहा।

दिल्ली की संस्था ने डेढ़ महीने में किए ट्रांसलोकेट : सेतु निगम ने दिल्ली की निजी संस्था नार्थन नर्सरी से संपर्क किया। इस पर संस्था के लोगों ने यहां आकर पेड़ों की लोकेशन ली। संस्था के लोगों ने दस मार्च से पेड़ों की शिफ्टिंग का काम शुरू किया। पेड़ों को करीब बीस फीट की ऊंचाई से काटा, उनकी जड़ों के बराबर गोलाई से मिट्टी खोदकर निकाला। फिर क्रेन से उठाकर पेड़ों को शिफ्ट किया। उन्होंने 26 मार्च तक सभी पेड़ शिफ्ट कर दिए। इन पेड़ों में पानी और दीमक से बचने वाली दवा लगाई जा रही है।

ट्रांसलोकेट किए 25 पेड़ फिर से हो गए पल्लवित : कैंट रोड से कुछ पेड़ों को करीब ढाई सौ मीटर की दूरी पर स्थित कैंट क्षेत्र की भूमि पर लगाया गया। कुछ पेड़ों को सड़क किनारे ही सेना की भूमि पर लगा दिया गया। इनमें से करीब 25 पेड़ों में नई शाखाएं और पत्ते निकल आए हैं। जो पेड़ कैंट क्षेत्र की भूमि पर लगाए गए हैं, उनकी ग्रोथ ज्यादा देखी गई है। वही, सड़क किनारे सेना के क्षेत्र में लगाए गए कुछ पेड़ ही पल्लवित हुए हैं।

मुख्य परियोजना प्रबंधक सेतु निगम देवेंद्र सिंह ने बताया कि  लालफाटक क्रासिंग के पास सर्विस रोड बनाने के लिए जितने पेड़ों को ट्रांसलोकेट किया गया था। उनमें आधे से अधिक पेड़ों में नई शाखाएं व पत्तियां आ गई हैं। इसका मतलब है कि उन पेड़ों ने जड़ पकड़ ली है।

संचालक नार्थन नर्सरी दिल्ली शीतला प्रसाद ने बताया कि  पेड़ों को ट्रांसलोकेट करने में करीब 60 फीसद तक सर्वाइवल की उम्मीद रहती है। ट्रांसलोकेशन की जगह पास होने और एक जैसा वातावरण होने से यह संभावना बढ़ जाती है। अधिकतर पेड़ दोबारा पनपने लगे हैं। उनमें पानी व आवश्यक दवा दी जा रही है।


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