Balveer Murder Case : शाहजहांपुर में सामने आया पुलिस का शर्मनाक चेहरा, हाथ जोड़कर गिड़गिड़ाती रही पोती, तमाशबीन बने रहे पुलिसकर्मी, वीडियो वायरल
Balveer Murder Case पुलिस कप्तान भले ही जिले में कानून व्यवस्था का दंभ भरें लेकिन उनकी बहादुर पुलिस चंद बवालियों के आगे बौनी साबित हुई। बुजुर्ग की पोती खाकी वर्दी वालाें के आगे हाथ जोड़कर बाबा को बचाने की गुहार लगाती रही।
बरेली, जेएनएन। Balveer Murder Case : पुलिस कप्तान भले ही जिले में कानून व्यवस्था का दंभ भरें, लेकिन उनकी बहादुर पुलिस चंद बवालियों के आगे बौनी साबित हुई। बुजुर्ग की पोती खाकी वर्दी वालाें के आगे हाथ जोड़कर बाबा को बचाने की गुहार लगाती रही, लेकिन वे तमाशबीन बने खेत में दुबके रहे। रायफल, डंडा हाथ में होने के बाद भी एक कदम आगे बढ़ने की हिम्मत न जुटा सके। इंदेपुर गांव में हुई घटना का वीडियो इंटरनेट मीडिया पर वायरल हुआ है, जिसमें दोनों पक्ष लाठी-डंडे लेकर एक-दूसरे के सामने आए तो बलवीर की पोती राखी हाथ जोड़कर दूसरे पक्ष के पास पहुंच गई, लेकिन किसी ने उसकी नहीं सुनी।
लाठी-डंडे चलने लगे तो वह पुलिसकर्मियों को आवाज देती रही, लेेकिन वे खेतों में भाग गए। इसके बाद उसने अपने बुजुर्ग बाबा को बचाने की कोशिश की, लेकिन उनके सिर पर किसी ने लाठी से प्रहार कर दिया। बलवीर के जमीन पर गिरते ही राखी खेतों में खड़े पुलिसकर्मियों की ओर दौड़ी। हाथ जोड़कर उनसे बाबा को बचाने की गुहार करने लगी, लेकिन हथेली में जान रखने वाली खाकी के रखवाले खुद अपनी जान की चिंता कर रहे थे। हत्यारोपित भाग गए। थाने से फोर्स पहुंच गया तब खेतों से बाहर आए, लेकिन तब तक बलवीर की सांसें थम चुकी थीं।
तो टल सकता था खूनी संघर्ष
पुलिस चाहती तो यह खूनी संघर्ष टाला जा सकता था। रात में ही दोनों पक्षों में बीच विवाद की सूचना होने के बाद भी पुलिस थाने से नहीं हिली। जब प्रधान पक्ष के लोगों ने घायलों के साथ जाकर वहां हंगामा किया तो दो सिपाही मौके पर भेज दिए, लेकिन वे भी खानापूरी कर वापस आए गए। अगर रात में ही दोनों पक्षों पर कार्रवाई कर दी गई होती तो शायद मंगलवार सुबह इतना बड़ा बवाल नहीं होता।
इस तरह बढ़ी रंजिश
इंदेपुर गांव निवासी वीरेंद्र सिंह दस साल से गांव के प्रधान थे। इस बार के चुनाव में वह हरिराम से हार गए थे। जिसके बाद से दोनों पक्षों में मनमुटाव चल रहा था। प्रधान पक्ष के मुकेश व उनके स्वजन सेंटर पर गेहूं की खरीद करते है। वीरेंद्र सिंह ने दो माह पहले भूमिहीनों को फर्जी किसान दर्शाकर गेहूं की तौल कराने का आरोप लगाते हुए अधिकारियों से शिकायत की थी, जिस कारण दोनों पक्षों में विवाद कम होने के बजाय बढ़ता चला गया। सोमवार रात जब भंडारे में दोनों पक्ष आमने-सामने हुए तो एक-दूसरे पर टीका-टिप्पणी ने संघर्ष का रूप ले लिया।
गाड़ी का भी हुआ था विवाद
बताया जाता है कि बलवीर के स्वजन ने कहीं जाने के लिए एक गाड़ी प्राइवेट बुक की थी। लेकिन बाद में चालक ने गाड़ी ले जाने के लिए मना कर दिया। तब उन्हे लगा कि गाड़ी प्रधान पक्ष के लोगों ने जाने से रोक दी। ऐसे में मनमुटाव बढ़ रहा था।
महिलाएं भी घायल, बरामद हुए डंडे
लाठी-डंडे चलने पर दोनों की कई महिलाएं भी चोटिल हो गई। हालांकि चोट गंभीर न होने की वजह से महिलाएं अस्पताल में उपचार कराने के लिए नहीं पहुंची। घटना के बाद जब पुलिस ने जांच पड़ताल की तो मौके से चार-पांच लाठी-डंडे भी खेत किनारे खाई से बरामद किए। जिन पर खून लगा था।
पोस्टमार्टम पहुंचा घायल बेटा
बलवीर के बेटे नीटू अपना इलाज कराने के बजाय घायलावस्था में ही पोस्टमार्टम हाउस पहुंच गए। सिर में चोट लगी देख स्वजन उन्हें अस्पताल से दवा लेने के लिए कह रहे थे लेकिन भावुक होते हुए नीटू ने उपचार कराने से मना कर दिया।