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Chandrayaan-2 : अर्थ से मून आर्बिट तक पहुंचने तक तीन देशों के खगोलशास्त्री रखेंगे नजर Bareilly News

चंद्रमा की आर्बिट में पहुंचने तक यह बेहद संवेदनशील प्रक्रिया के अंतर्गत निगहबानी में रहेगा। तीन देशों में भारत के बनाए गए खास सिस्टम इस पर नजर रखेंगे।

By Abhishek PandeyEdited By: Published: Tue, 23 Jul 2019 10:59 AM (IST)Updated: Wed, 24 Jul 2019 10:10 PM (IST)
Chandrayaan-2 : अर्थ से मून आर्बिट तक पहुंचने तक तीन देशों के खगोलशास्त्री रखेंगे नजर Bareilly News
Chandrayaan-2 : अर्थ से मून आर्बिट तक पहुंचने तक तीन देशों के खगोलशास्त्री रखेंगे नजर Bareilly News

बरेली [प्रसून शुक्ल] : अमेरिका, रूस और चीन के बाद अंतरिक्ष में चौथी महाशक्ति के रूप में विकसित हुए भारत के चंद्रयान-2 प्रोजेक्ट पर देश-दुनिया की निगाह है। चंद्रमा की आर्बिट में पहुंचने तक यह बेहद संवेदनशील प्रक्रिया के अंतर्गत निगहबानी में रहेगा। तीन देशों में भारत के बनाए गए खास सिस्टम इस पर नजर रखेंगे। इसरो के वरिष्ठ वैज्ञानिक और चंद्रयान-2 प्रक्षेपण टीम का हिस्सा रहे बदायूं, उप्र निवासी सतपाल अरोरा से इस बारे में फोन पर बात हुई।

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उन्होंने बताया कि छह और सात सितंबर को चंद्रमा की आर्बिट में पहुंचने की प्रक्रिया के अंतर्गत चंद्रयान-2 की हर गतिविधि पर निगाह रखने की जिम्मेदारी वैसे तो इसरो पर ही है लेकिन इसरो की देखरेख में अमेरिका, रूस और चीन में बने भारतीय स्पेस सेंटर भी इस पर नजर रखेंगे।

अर्थ आर्बिट यानि पृथ्वी की कक्षा से मून की आर्बिट अर्थात चंद्रमा की कक्षा में पहुंचने पर चंद्रयान-2 की गति में परिवर्तन होंगे। इसको लेकर पूरी दुनिया के खगोल शास्त्रियों में काफी उत्साह है। वे चंद्रयान-2 की प्रत्येक गतिविधि को देखने के लिए अपने-अपने तरह से जुटे हुए हैं। चंद्रमा पर लैंडिंग करने के बाद चंद्रयान-2 का सक्रिय काल एक साल तय है। हालांकि यह अपनी मियाद से भी अधिक काम कर सकता है।

वन टीम वन ड्रीम : सतपाल 

इसरो में सीनियर साइंटिस्ट सतपाल अरोरा उर्फ मिक्कू ने कहा कि चंद्रयान-2 के प्रक्षेपण की पूरी प्रक्रिया पर इसरो में काफी उत्साह है। यह वन टीम वन ड्रीम है। यह अपने लक्ष्यों को पूरा करेगा और हमें भरोसा है कि दुनिया के सामने भारत नया कीर्तिमान स्थापित करेगा। 


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