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कुत्ते-बंदर से रहें दूर, जिला अस्पताल में नहीं एआरवी

सड़कों पर घूम रहे 'आवारा आतंक' जिले में कई लोगों की जान ले चुके। खासकर, बच्चे आए दिन शिकार बनते हैं।

By JagranEdited By: Published: Sat, 05 May 2018 02:34 AM (IST)Updated: Sat, 05 May 2018 03:02 AM (IST)
कुत्ते-बंदर से रहें दूर, जिला अस्पताल में नहीं एआरवी
कुत्ते-बंदर से रहें दूर, जिला अस्पताल में नहीं एआरवी

जागरण संवाददाता, बरेली : सड़कों पर घूम रहे 'आवारा आतंक' जिले में कई लोगों की जान ले चुके। खासकर, बच्चे आए दिन शिकार बनते हैं। बहेड़ी में खूंखार कुत्तों का खूनी आतंक सभी जानते हैं। केवल जिला अस्पताल की बात करें तो कुत्ता काटे के शिकार करीब 150 लोग रोजाना इंजेक्शन लगवाने पहुंचते हैं। पीएचसी और सीएचसी की संख्या को जोड़ें तो आंकड़ा दो सौ से ऊपर पहुंच जाता है। इस सब के बावजूद स्वास्थ्य विभाग इस मुद्दे पर बेपरवाह बना हुआ है। एक सप्ताह से जिला अस्पताल से एंटी रेबीज वैक्सीन(एआरवी) खत्म हो चुकी है। कुत्तों के साथ बंदर काटे के शिकार लोग निराश होकर लौट रहे हैं और इस आड़े में निजी मेडिकल स्टोर का धंधा चोखा बन पड़ा है।

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सोमवार तक स्टॉक आने की उम्मीद कम

गेट पर नोटिस चस्पा कर दिया है कि एंटी रेबीज वैक्सीन 28 अप्रैल से नहीं हैं। लखनऊ से सोमवार तक वैक्सीन आने की संभावना जताई जा रही है। हालांकि, अस्पताल प्रशासन से जुड़े सूत्र बताते हैं कि ऐसा मुश्किल दिख रहा है।

चालीस से पचास रुपये बढ़ जाती एआरवी की कीमत

खासबात यह है कि जिला अस्पताल में जब तक एआरवी स्टॉक में होती है। तब तक निजी मेडिकल स्टोर पर भी दवा वैक्सीन की कीमत 300 रुपये के अंदर रहती है। जिला अस्पताल में स्टॉक खत्म होने पर मेडिकल स्टोर्स पर ब्लैक शुरू हो जाती है। प्रति वैक्सीन 50 रुपये तक अतिरिक्त वसूले जाते हैं।

चार नहीं, लगते पांच इंजेक्शन

कुत्ते या बंदर के काटने के बाद जिला अस्पताल में जहां एक-एक हफ्ते के अंदर में चार बार इंजेक्शन लगाए जाते हैं। वहीं, निजी मेडिकल स्टोर या प्राइवेट क्लीनिक पर यह पांच बार में लगाया जाता है। हर बार 300-350 रुपये प्रति वैक्सीन के हिसाब से देखें तो पंद्रह सौ रुपये से लेकर साढ़े सत्रह सौ रुपये वसूले जाते हैं।

ब्लॉक स्तर पर भी स्टॉक खत्म

सीएचसी और पीएचसी पर भी एआरवी का स्टॉक खत्म हो चुका है। अमूमन प्रति पीएचसी-सीएचसी दर्जन भर से ज्यादा केस में कुत्ते और बंदर काटे के पहुंचते हैं।

आखिरी पांच दिन लगे 285 इंजेक्शन

स्टॉक खत्म होने से पहले 25 अप्रैल कुत्तों और बंदरों के शिकार 57 लोगों को इंजेक्शन लगाए थे। 26 अप्रैल को 96 लोग, 27 अप्रैल को 105 लोगों को एआरवी के इंजेक्शन लगाए गए। वहीं, 28 अप्रैल को एआरवी का बचा हुआ स्टॉक दो घंटे के अंदर खत्म हो गया। इस दिन 27 लोगों को इंजेक्शन लगाए गए।

वर्जन-----

28 अप्रैल से जिला अस्पताल में एआरवी का स्टॉक नहीं है। ब्लॉक स्तर पर भी वैक्सीन खत्म होने से रोजाना करीब सौ मरीजों को वापस भेजना पड़ता है। एआरवी कब आएगी, इसकी जानकारी नहीं दी गई है।

-डॉ.विकास, एआरवी इंचार्ज, जिला अस्पताल एआरवी खत्म होने के बाबत जिलों से सूचना आने की जानकारी नहीं है। जिलों से वैक्सीन की सीधे डिमांड मुख्यालय स्तर पर की जाती है।

-डॉ. नरेंद्र, प्रभारी एडी हेल्थ एआरवी की पूरे प्रदेश में दिक्कत बनी है। हमारे यहां भी हालत ठीक नहीं है। भारत बायोटेक नामक कंपनी का प्रदेश भर में दर अनुबंध है। कंपनी ही वैक्सीन की सप्लाई नहीं कर रही है। इस बाबत लगातार पत्र भेजे जा रहे हैं।

-डॉ. विनीत कुमार शुक्ला, सीएमओ


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