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Article 370... अब कश्मीर वाला घर मुझे बुला रहा Bareilly News

वर्ष 1989-90 में जब कश्मीर के हालात बिगड़े कश्मीरी पंडितों व पंजाबियों को निशाने पर लिया जाने लगा तो कई परिवार ऐसे थे जो यहां आकर बस गए। यहां नए सिरे से जिंदगी बसर करना शुरू की।

By Abhishek PandeyEdited By: Published: Tue, 06 Aug 2019 12:31 PM (IST)Updated: Tue, 06 Aug 2019 05:29 PM (IST)
Article 370... अब कश्मीर वाला घर मुझे बुला रहा Bareilly News

बरेली [अविनाश चौबे] : धरती का स्वर्ग कहे जाने वाले कश्मीर में आशियाना था। सबकुछ वहीं था...रोजी-रोटी का जरिया, परिवार और सगे-संबंधी भी। अचानक हालात बदले और सबकुछ हाथ से चला गया। बची तो सिर्फ जान। जिसकी खातिर वहां से भागने को मजबूर हो गए। अपनी चौखट छोड़नी पड़ी।

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वर्ष 1989-90 में जब कश्मीर के हालात बिगड़े, कश्मीरी पंडितों व पंजाबियों को निशाने पर लिया जाने लगा तो कई परिवार ऐसे थे, जो यहां आकर बस गए। यहां नए सिरे से जिंदगी बसर करना शुरू की मगर, कश्मीर के हालात पर अक्सर चर्चा करते।

आतंकियों की गतिविधियां उन्हें मानसिक पीड़ा देतीं। सोमवार को जब कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटने की खबर आई तो इन परिवारों को लगा कि अब वहां के हालात सुधर सकेंगे। आतंकियों पर नकेल कसी जा सकेगी। 

फलों वाले ट्रक में छिपकर भाग आए 

मैं संयुक्त परिवार साथ कश्मीर के सोपोर में रहता था। वर्ष 1989 में वहां हालात बिगड़ने लगे थे। आतंकी धमकी देते थे कि कश्मीर छोड़ दो नहीं तो पूरे परिवार को मार देंगे। आए दिन हंिदूू, पंजाबी व्यापारियों की दुकानें काट ली जातीं। महिलाओं से वारदातें होने लगीं तो अपने परिवार की फिक्र सताई। लगा कि अब सबकुछ बेकाबू हो गया है इसलिए 20 मार्च 1990 की रात को चुपचाप सारा सामान समेटा और भारी मन से अपनी चौखट छोड़ने की तैयारी कर ली।

सरकार द्वारा धारा 370 हटाये जाने से खुश हुआ जगमोहन साहनी का परिवार। जागरण

वो दौर याद करते हुए शाहबाद में रहने वाले जगमोहन साहनी का गला भर्रा गया। बोले, उस वक्त बरेली में ताऊ जमुना दास साहनी का मकान था इसलिए उन्हीं के पास आने का फैसला कर लिया। लेकिन कश्मीर से निकल पाना भी मुश्किल भरा था। आतंकी राह चलते लोगों को मार रहे थे। एक ट्रक चालक से मदद मांगी तो उसने हम लोगों को कुछ फलों की पेटियों के बीच बैठाया, इधर-उधर घरेलू सामान लादकर ऊपर तिरपाल तान दिया।

सोपोर कश्मीर की सबसे बड़ी फल मंडी थी, इसलिए यह कहते हुए चला कि माल लेकर जा रहा है। रास्ते में ङोलम नदी का पुल पार कर रहे थे तभी सड़क पर खड़े आतंकियों को देख चालक ने हमें आवाज दी। चुप रहना। एक भी आवाज आई तो सब मारे जाएंगे। पूरा परिवार सहमकर बैठा रहा। ट्रक चालक ने आतंकियों से कहा कि फल लेकर जा रहे हैं। यह कहकर वहां से निकले और 22 मार्च की सुबह बरेली शहर आकर लगे। ताऊ इनकम टैक्स विभाग में स्टेनो थे। हमने यहां कुछ जमा पूंजी से बिजनेस शुरू किया। 

हिंदुओं के घरों पर पत्थर फेंके जाते थे 

1988 के बाद से लगातार स्थिति बिगड़ती चली गई। आए दिन कफ्यरू लगता। बच्चे कई महीनों स्कूल नहीं गए। आतंकी हंिदूू परिवारों को चुन चुनकर निशाना बनाते। वर्ष 1989 के अंत में घर और दुकानों पर पत्थरबाजी होने लगी। धमकी भरे पत्र आने लगे कि कश्मीर नहीं छोड़ा तो बेटियों को उठा ले जाएंगे, जान से मार देंगे। इसी बीच सोपोर में हमारे घर के पास से पांच लड़कियां अचानक गायब हुईं तो हम सभी की चिंता बढ़ गई ।

सरकार द्वारा धारा 370 हटाये जाने पर खुशी जताते सोनिया अरोरा उनके बेटे तेजस्व अरोरा। जागरण 

राजेंद्रनगर निवासी सोनिया अरोड़ा उन दिनों का खौफनाक मंजर बयां करती गईं। बोलीं, हम लोग यहां ताऊ जमुना साहनी के पास आ गए। बोलीं, अनुच्छेद 370 तो पहले ही हट जाना चाहिए था। ऐसा होता तो कश्मीर में ऐसे खराब हालात नहीं होते। खैर, देर से ही सही, अब हालात सुधरेंगे। हालात सुधरे तो एक बार वहां जाएंगे जरूर।

अंकल बोले, बरेली आ जाओ सब

अशोक कुमार कौल कहते हैं कि श्रीनगर में अपर सत्थू में मुख्य बाजार में मकान था। जनवरी 1989 में दूसरे सप्ताह का वाकया है। सभी लोग रात का खाना खाकर टीवी देख रहे थे। अचानक से बाहर से तेज आवाजें आना शुरू हुई। मस्जिदों से भी एलान तेज हुए, तो रात 11.30 बजे बाहर निकले। पूरा बाजार रोशनी से जगमगा रहा था। मुहल्ले के सभी हिंदू परिवार हैरान थे। अचानक सामने देखा कि चौराहा पर जमा हुए लोग आजादी चाहिए के नारे लगा रहे थे। बाहर से आए लड़कों ने हिंदू परिवारों पर हमला कर दिया। मारपीट की। हालांकि वहां रहने वाले कुछ मुस्लिम परिवारों ने विरोध करते हुए बचाया।

कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने के निर्णय का बरेली कॉलेज गेट पर जोरदार नारों से स्वागत करते एबीवीपी कार्यकर्ता। जागरण

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