लेह से बरेली चल पड़ी 'एकता' की साइकिल
देश और देशवासियों को एकता में पिरोने की दीवानगी कहें या कुछ अलग कर गुजरने का जुनून।
जागरण संवाददाता, बरेली : इसे जज्बा कहें। देश और देशवासियों को एकता में पिरोने की दीवानगी कहें या कुछ अलग कर गुजरने का जुनून। इन सभी शब्दों और उनके मायनों को सार्थक करने को लेह के दुर्गम दर्रे से बरेली की साइकिल यात्रा पर निकल पड़े हैं सेना के 10 जांबाज। बरेली के गरुड़ इंजीनियर्स के कमान अधिकारी कर्नल पी. गोवर्द्धन रेड्डी की अगुवाई में यह दल पांच अगस्त को लेह से रवाना हुआ। 1325 किलोमीटर का लंबा सफर तय कर दल 17 अगस्त को शहर पहुंचेगा।
मकसद एकता, अखंडता और साहस
इस साइकिल अभियान का मकसद देश की अखंडता, देशवासियों की एकता और उनके प्रति सेना के अदम्य साहस, अपनेपन का प्रदर्शन है। गरुड़ डिवीजन के अधिकारियों और सैनिकों में श्रेष्ठ फिटनेस के आधार पर 10 जांबाज चुने गए।
13 दिन में पूरा होगा सफर
पांच अगस्त को जीओसी मेजर जनरल कबिंद्र सिंह ने लेह में झंडी दिखाकर कर कारवां रवाना किया। लेह से चलकर कारू, डिबरिग, पांग, सरचू, टांडी, पलचन, पंडोह होकर मनाली तक का दुर्गम पर्वतीय रास्ता तय करेगा। मनाली के आगे चंडीगढ़ से मैदानी भाग हासिल होगा। सहारनपुर, मेरठ, मुरादाबाद होते हुए बरेली पहुंचेगा। कुल 13 दिन का सफर है।
पहाड़ पर 100, मैदान पर 200 किमी सफर
दल ने पूरा सफर और उसकी योजना तैयार की। पहाड़ी रास्तों में प्रतिदिन 100 और मैदानी रास्तों पर प्रतिदिन 200 किलोमीटर की दूरी तय करेगी। टीम के साथ ही मेडिकल किट, रात्रि प्रवास को टेंट और आपात स्थिति के लिए खान-पान सामग्री है।
यह जांबाज हैं कारवां में
कर्नल पी. गोवर्द्धन रेड्डी
कैप्टन अनंतजोत सिंह
लेफ्टिनेंट श्रेयक अतुल पाटिल
हवलदार के. श्क्तिवेल
लांस नायक परिहार नीलेश बीएस
लांस नायक के. बालाकृष्णन
सिपाही शरथराज, अखिल जे., सोमशेखर उडुपुडी, जुवेल जैसन