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बेड न होने की बात कहकर अस्पताल के गेट पर लगाया ताला, चार घंटे तक एम्बुलेंस में तड़पता रहा कोरोना संक्रमित मरीज

जहांं एक ओर एम्बुलेंस कर्मचारी जान की बाजी लगाकर 24 घंटे कोविड मरीजोंं को सुरक्षित हॉस्पिटल तक पहुंचाकर अपने कर्तव्यों को बखूबी अंजाम दे रहे है वहींं दूसरी तरफ रुहेलखंड मेडिकल कॉलेज के प्रशाशनिक अधिकारी मनमानी पर उतर आए हैंं।

By Samanvay PandeyEdited By: Published: Fri, 23 Apr 2021 11:09 AM (IST)Updated: Fri, 23 Apr 2021 11:09 AM (IST)
जगह न होने की बात कहकर हॉस्पिटल स्टाफ के द्वारा मेन गेट का मारा ताला।

बरेली, जेएनएन। जहांं एक ओर एम्बुलेंस कर्मचारी जान की बाजी लगाकर 24 घंटे कोविड मरीजोंं को सुरक्षित हॉस्पिटल तक पहुंचाकर अपने कर्तव्यों को बखूबी अंजाम दे रहे है, वहींं दूसरी तरफ रुहेलखंड मेडिकल कॉलेज के प्रशाशनिक अधिकारी मनमानी पर उतर आए हैंं। बीती रात कोविड मरीज को भर्ती न करके हॉस्पिटल गेट का ताला लगाकर मरीज को मरने के लिए चार घंंटे एम्बुलेंस मेंं छोड़ दिया। घंटोंं हंगामा करने के बाद पुलिस के हस्तछेप पर मरीज को भर्ती करना पड़ा। 

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प्रदेस के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कोविड मरीज को कोई भी परेशानी न हो इसके लिए संबंधित अधिकारियोंं को साफ निर्देश दिए है। जो भी मूलभूत सुविधाएं होंं वो मुहैया कराने के निर्देश हैं। इन सभी निर्देशो की धज्जियां बीती रात रुहेलखंड मेडिकल कॉलेज के स्टाफ द्वारा उड़ाई गयी।

हुआ कुछ यूं कि रात 10 बजे के करीब कोविड स्पेशल एम्बुलेंस up32bg9695 जिला हॉस्पिटल से क्रिटिकल कोविड मरीज मनोज शर्मा पुत्र उमरायलाल को लेकर रुहेलखंड मेडिकल कॉलेज गयी। इसके पीछे up32bg9774 खुर्शीद को 300 बेड हॉस्पिटल से लेकर रुहेलखंड मेडिकल कॉलेज को गयी। पहले स्टाफ द्वारा मनोज शर्मा जो कि ऑक्सीजन पर था को हॉस्पिटल में इंट्री दे दी, लेकिन थोड़ी देर बाद ही एम्बुलेंस को बेड न होने की बात कहकर बाहर कर दिया। लगातार अनुरोध करने के बाद भी वहां का स्टाफ मरीज को भर्ती करने को तैयार नही था।

इसी बीच मरीज को हालात और बिगड़ गयी। उनके परिजनों का रो रोकर बुरा हाल हो गया। करीब चार घंटे तक वहां के स्टाफ द्वारा एम्बुलेंस को बाहर खड़ा रखा गया और मेन गेट का ताला बंद करके अपनी तानाशाही का परिचय दिया। जैसे ही जानकारी एम्बुलेंस जिला प्रभारी व जिला कमेटी को मिली उन्होंने संबधित सभी उच्च अधिकारियों से वार्ता करके मामले से अवगत कराया। उन्होंने मौके पर पहुचकर पहले भर्ती कराए जाने का दबाव बनाया। लेकिन वो बेड न होने का रोना बताकर मना करते रहे।

इसी बीच एम्बुलेंस कर्मचारियों ने 100 डायल करके मौके पर पुलिस को बुलाया। पुलिस के हस्तछेप से करीब चार घंटे बाद दोनों मरीज को भर्ती कराया। अब सवाल ये उठता है कि चार घंटे तक लगातार क्रिटिकल मरीजो को ऑक्सीजन देनी पड़ी अगर इस दौरान ऑक्सीजन खत्म हो जाती कोई अनहोनी होती तो जिम्मेदारी किसकी होती?


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