जानिए... यूपी के इस शहर के इलाज में सारी पूंजी तबाह हो गई, लेकिन दर्द नहीं गया... Bareilly News
साल दर साल गुजरते गए नहीं गुजरा तो वह दर्द जो टूटी सड़कें रोज देती हैं।...कभी हादसे में घर का चिराग खोने का तो कभी घायल के इलाज में सारी पूंजी तबाह होने का।
अभिषेक पांडेय, बरेली : साल दर साल गुजरते गए, नहीं गुजरा तो वह दर्द, जो टूटी सड़कें रोज देती हैं।...कभी हादसे में घर का चिराग खोने का तो कभी घायल के इलाज में सारी पूंजी तबाह होने का। जनप्रतिनिधि और अधिकारी, इस दर्द को समझते सब हैं मगर, कोई उसे दूर करने को न कह दे इसलिए मुंह फेर जाते हैं। बुधवार को जब मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ मऊ से वाराणसी तक सड़क मार्ग से गए तो सड़कों के ऐसे कई गड्ढों से रूबरू हुए, जिस पर अधिकारियों को तलब कर लिया। अब उन्हीं से आस है कि बरेली की इन टूटी, हिचकोले खाती सड़कों की दशा भी सुधारवा दें। जिले में सड़कों की कैसी दुर्दशा है, बयां करती लाइव रिपोर्ट
बरेली से शाहजहांपुर की ओर बढ़े ...
बरेली से शाहजहांपुर की ओर बढ़े। सड़कों से सुकून ठीक वैसे ही फना है, जैसे इस शहर के बाजार में झुमका गिरा और अब तक नहीं मिला। सेटेलाइट...यहीं से गड्ढों के ऐसे दर्शन हो गए कि अंतरिक्ष याद आ जाए, तारे दिखने लगें। बनता हुआ ओवरब्रिज विकास की भव्य-दिव्य तस्वीर दिखाने की कोशिश कर रहा मगर उसके पीछे टूटी सड़कों की हकीकत कैनवास का हर हिस्सा उधेड़ रही। कभी गड्ढों तो कभी वाहनों के भीड़ से जूझते हुए जैसे-तैसे आगे बढ़े, कुछ पल सुकून भरी हवा की उम्मीद परवान चढ़ने वाली थी नरियावल तिराहे के पास औंधे मुंह गिर गई। उधड़ी सड़क की बजरी में मोटर साइकिल ऐसे लड़खड़ाई जैसे इस जिले की व्यवस्था।
बाइक संभल गई इसका शुक्र मनाइए...
बाइक तो संभल गई इसका शुक्र मनाइए। व्यवस्था भी सुधर जाए, ऐसी दुआ जरूर करिए। क्योंकि, आसरा सिर्फ दुआ का ही बचा है, सड़क ठीक करने वाले तो लंबी चादर ओढ़े हुए हैं। बचते-बचाते रजऊ पार हुआ, बाइक के पहिये गुमान में भरे ऐसे दिखे...मानो वो उत्तम प्रदेश की सवरेत्तम सड़कों पर दौड़ रहे हों। बमुश्किल सात किमी ही चल रहे कि एहसास हुआ वो गुमान नहीं, गलतफहमी थी। केसरपुर के पास कहीं टूटे तो कहीं अधबने डिवाइडर के बीच से दौड़ लगाते बंदर, बेसहारा पशुओं ने जता दिया- टैक्स देने वाले वाहन ही नहीं, वे भी खुलेआम तथाकथित फोरलेन पर दौड़ लगा सकते हैं। आखिर है कोई रोकने वाला?
जेड़ गांव पहुंचते-पहुंचते समझ आ गया कि...
जेड़ गांव पहुंचते-पहुंचते समझ आ गया कि नौ साल पहले विकास की बुलंद तस्वीर दिखाने के लिए कसीदे से कढ़ा गया यह फोरलेन असल में चक्रव्यूह है। पार कर सको जिंदगी, वर्ना ..। सोच ही रहे थे कि गहरे गड्ढों से जूझते हुए उस अधबने टोल प्लाजा पर पहुंच गए। हम सीना चौड़ा करते हुए वहां से गुजरने लगे...आखिर उस जगह से गुजर रहे थे जहां से मंत्री, कलेक्टर सब गुजरते हैं। यह बात अलग है कि हमें अपनी व्यवस्था पर थोड़ा फिक्र हुई, थोड़ी शर्म आई। दो किमी का सफर तय हुआ, फरीदपुर में घुसने से पहले दिमाग चकरा गया। उखड़ी हुई सड़कों के बीच उलङो तिराहे पर जाकर ऐसे खड़े हो गए मानो भंवर में फंस गए हों।
कस्बे के अंदर जाने की तमन्ना तो थी मगर...
कस्बे के अंदर जाने की तमन्ना थी मगर वो बाईपास बनाकर करोड़ों समेटकर घर चले गए कंपनी वालों ने शायद हम जैसे राहगीरों की जरूरत को वाजिब नहीं समझा। जरूरी तो आगे का दरका हुआ बाईपास सही करना भी नहीं समझा, जरूरत तो इस बात की भी नहीं समझी कि छह दिशाओं से आने वाले यातायात को इस तिराहे पर कैसे नियंत्रित किया जाए। खैर, उन्होंने एक जरूरत तो जरूर समझी...काम में देरी का सहारा लेकर 300 करोड़ रुपये का जो अतिरिक्त बोझ दिया उसे समेटने का इंतजाम बखूबी कर लिया। फरीदपुर किसी तरह पार कर चुके हैं। आगे शहीदों की नगरी शाहजहांपुर का सफर भी इससे कम खतरनाक नहीं।
हालात यहां भी खराब
’ फरीदपुर से बुखारा होते हुए सड़क जगह-जगह गड्ढों में तब्दील हो गई
’ बरेली सिटी से सीबीगंज तक गड्ढों के कारण कई हादसे हो चुके
’ बदायूं रोड पर भी सड़क जगह-जगह टूटी है
’ नवाबगंज रोड पर तो काम ही बंद पड़ा है। वहां फोरलेन बनना है।