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जिले में पहली बार मंडरा रहा टिड्डी दल का खतरा

जनपद में पहली बार टिड्डी दल का खतरा मंडरा रहा है। भारी संख्या में टिड्डियों का दल गुजरात राजस्थान से आगे बढ़कर प्रदेश की सीमा में पहुंच चुका है। टिड्डी दल रास्ते में आने वाली फसल सब्जियां व पेड़ का लगभग पूरी तरह सफाया करते बढ़ते हैं। इसे देखते हुए पूरे प्रदेश में अलर्ट घोषित किया गया है। मंगलवार को मुख्य विकास अधिकारी चंद्र मोहन गर्ग ने इसके लिए एडवाइजरी जारी की है।

By JagranEdited By: Published: Wed, 27 May 2020 01:58 AM (IST)Updated: Wed, 27 May 2020 06:04 AM (IST)
जिले में पहली बार मंडरा रहा टिड्डी दल का खतरा
जिले में पहली बार मंडरा रहा टिड्डी दल का खतरा

जेएनएन, बरेली : जनपद में पहली बार टिड्डी दल का खतरा मंडरा रहा है। भारी संख्या में टिड्डियों का दल गुजरात, राजस्थान से आगे बढ़कर प्रदेश की सीमा में पहुंच चुका है। टिड्डी दल रास्ते में आने वाली फसल, सब्जियां व पेड़ का लगभग पूरी तरह सफाया करते बढ़ते हैं। इसे देखते हुए पूरे प्रदेश में अलर्ट घोषित किया गया है। मंगलवार को मुख्य विकास अधिकारी चंद्र मोहन गर्ग ने इसके लिए एडवाइजरी जारी की है।

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सबसे पहले 19 मई को गन्ना विकास विभाग के प्रमुख सचिव संजय आर भूसरेड्डी ने टिड्डी नियंत्रण के लिए एडवाइजरी जारी की थी। सतर्कता से दो दल तो खदेड़ दिए गए, लेकिन मई के तीसरे के सप्ताह की शुरुआत में ही टिड्डियों के एक दल ने बुंदेलखंड भारी तबाही मचा दी। इसके बाद कृषि विभाग ने अलर्ट जारी कर दिया। अब टिड्डियों का दल हवा के रुख के साथ कई जिलों के लिए खतरा बन गया है।

झांसी में टिड्डियों ने भारी नुकसान किया है। प्रमुख सचिव कृषि के निर्देश पर प्रभावी नियंत्रण के लिए पूरे प्रदेश में निगरानी समितियां गठित की गई। जिले में सीडीओ चंद्र मोहन गर्ग की अध्यक्षता में गठित समिति में उप कृषि निदेशक, जिला कृषि अधिकारी, कृषि रक्षा अधिकारी, गन्ना अधिकारी को शामिल किया गया है। उप कृषि निदेशक अशोक यादव भी नियमित तैयारियों की समीक्षा कर रहे हैं। टिड्डी की खासियत

- टिड्डी रात में जमीन में गड्ढा बनाकर 5-7.5 सेमी नीचे अंडे देती है।

- सात से आठ दिन बाद अंडे से बिना पंख वाले हापस निकलते हैं।

- हापस फसलों को खाते हुए प्रौढ़ावस्था में परिवर्तित हो जाते हैं।

- प्रौढ़ टिड्डी दल बनाकर 15 से 20 किमी प्रति घंटा की गति से सफर तय कर फसलों को नुकसान पहुंचाते है।

हवा का रुख तय करेगा टिड्डियों की राह

जिला कृषि रक्षा अधिकारी अर्चना वर्मा ने बताया कि टिड्डियों की राह हवा की दिशा तय करेगी। अमूमन जून में इनका हमला होता है। मगर शुष्क मौसम के कारण ये पहले आ गए हैं और अधिक ताकतवर हैं। मतलब इस बार ये टिड्डी दल अधिक नुकसान पहुंचा रही हैं। तीन दल में आई हैं टिड्डियां

टिड्डी इस वर्ष तीन दल में आई हैं। पहला दल करीब सवा किमी के दायरे में फैला है। दूसरा दल करीब साढ़े तीन किमी में हैं जो दो भागों में टूट गया है। एक किमी के क्षेत्र में करीब एक करोड़ से अधिक टिड्डियां होती हैं।

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टिड्डी दल से बचाव को लेकर तैयारियां पूरी कर ली गई हैं। मंगलवार को सीडीओ ने भी एडवाइजरी जारी की है। - अर्चना वर्मा, जिला कृषि रक्षा अधिकारी


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