बीएससी प्रथम, द्वितीय वर्ष में भी 60 फीसद विद्यार्थी फेल
एमजेपी रुहेलखंड विश्वविद्यालय में इस दफा नकल पर नकेल का असर साफ दिख रहा है।
जागरण संवाददाता, बरेली : एमजेपी रुहेलखंड विश्वविद्यालय में इस दफा नकल पर नकेल का असर साफ दिख रहा है। गुरुवार देर शाम जारी बीएससी (बैचलर ऑफ साइंस) प्रथम और द्वितीय वर्ष परिणाम महज 40-40 प्रतिशत रहा है। जबकि 60-60 फीसद के आस-पास छात्र-छात्राएं फेल हो गए हैं। नतीजों ने शिक्षकों को भी हैरत में डाल दिया है। बीएससी प्रथम वर्ष की परीक्षा में करीब 45,000 और द्वितीय वर्ष में लगभग 46,000 छात्र-छात्राएं शामिल हुए थे।
पिछले सप्ताह घोषित बीएससी फाइनल ईयर का रिजल्ट महज 39 फीसद रहा था, इसमें 61 प्रतिशत विद्यार्थी फेल हुए थे। फाइनल के रिजल्ट से ही पहले और दूसरे साल के विद्यार्थियों में बेचैनी बनी थी। विवि के अधिकारी और प्रोफेसर दोनों ये आशंका जता रहे थे कि प्रथम और द्वितीय वर्ष का रिजल्ट भी कम जाएगा।
बीएससी के इस रिजल्ट पर अधिकारियों का कहना है कि यह तस्वीर कॉलेजों में पढ़ाई-लिखाई की स्थिति बयां करती है। दरअसल, इस बार विवि ने सेल्फ सेंटर व्यवस्था खत्म कर सीसीटीवी कैमरे की निगरानी में परीक्षा कराई थी। इसी का नतीजा है कि जिन कॉलेजों में पहले नकल का खेल चलता था, दूसरे कॉलेजों में परीक्षा होने से इस पर काफी हद तक रोक रही। विवि प्रशासन ने स्पष्ट किया है कि परीक्षा और मूल्यांकन में पारदर्शिता की कोशिश सफल रही। आगे और भी पारदर्शी परीक्षाएं होंगी। कॉलेज वाले यह सुनिश्चित करें कि नियमित पढ़ाई हो। अब तक का सबसे कम रिजल्ट
रुविवि में विज्ञान के एक प्रोफेसर कहते हैं कि विवि के इतिहास में यह सबसे कम रिजल्ट रहा है। बीएससी का ही नहीं बीए द्वितीय वर्ष में 20 फीसद विद्यार्थी फेल हुए हैं। बीकॉम, एमए और एमकाम में भी फेल होने वालों का आंकड़ा हमेशा से ज्यादा रहा है। दाखिले पर पड़ेगा रिजल्ट का असर
विवि के एक प्रोफेसर कहते हैं कि रिजल्ट का असर प्रवेश प्रक्रिया पर पड़ेगा। कॉलेजों की पढ़ाई की स्थिति में सुधार करना होगा। वरना आने वाले समय में यहां के छात्र दूसरी विवि का रुख करने को विवश होंगे। वर्जन
-बीएससी प्रथम और द्वितीय वर्ष का परिणाम जारी हो गया है। रिजल्ट कम रहने का यह सबूत है कि हम पारदर्शी परीक्षा कराने में सफल रहे।
महेश कुमार, परीक्षा नियंत्रक रुविवि