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पर्यावरण संरक्षण : इस नदी को बचाने के लिए पीलीभीत के भैसासुर कुंड से लेकर संगम तक लगेंगे 51 हजार पौधे Shahjahanpur News

तीन दशक पूर्व अतिक्रमण से मृतप्राय भैंसी नदी में अब पानी है। हालांकि नदी पहले की तरह प्रवाहमान हो इसके लिए प्रयास जारी हैैं।

By Ravi MishraEdited By: Published: Fri, 05 Jun 2020 09:03 AM (IST)Updated: Fri, 05 Jun 2020 05:10 PM (IST)
पर्यावरण संरक्षण : इस नदी को बचाने के लिए पीलीभीत के भैसासुर कुंड से लेकर संगम तक लगेंगे 51 हजार पौधे Shahjahanpur News
पर्यावरण संरक्षण : इस नदी को बचाने के लिए पीलीभीत के भैसासुर कुंड से लेकर संगम तक लगेंगे 51 हजार पौधे Shahjahanpur News

शाहजहांपुर, [नरेंद्र यादव] । तीन दशक पूर्व अतिक्रमण से मृतप्राय भैंसी नदी में अब पानी है। हालांकि नदी पहले की तरह प्रवाहमान हो इसके लिए प्रयास जारी हैैं। खास बात यह कि नदी को फिर से जीवन देने का काम कुछ लोगों ने शुरू किया जिसने अभियान का रूप धरा। आज पांच हजार ग्रामीण इस अभियान से जुड़ चुके हैैं। जिला प्रशासन भी इस सद्प्रयास में योगदान कर रहा है। नदी को सदानीरा बनाने के लिए इसे शारदा नहर के कुलावे से जोड़ा जाएगा। इसके लिए जिला प्रशासन को प्रस्ताव दिया गया है। जल संरक्षण, पर्यावरण संरक्षण के साथ अतिक्रमण रोकने के लिए उद्गम से संगम तक 51 हजार पौधे भी लगाए जाएंगे।

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पुवायां तहसील में करीब 60 किमी प्रवाहित भैंसी नदी का पीलीभीत जिले के भैंसासुर कुंड उद्गम है। लोकभारती संस्था से जुड़े डॉ. विजय पाठक, संयोजक संजय उपाध्याय, आलोक मिश्रा, देवेश कुमार की पहल पर 47 ग्राम पंचायतों के करीब पांच हजार लोगों का कारवां बना। उन्होंने प्रशासन की मदद व जनसहयोग से भैंसी नदी को अतिक्रमण मुक्त कराने के बाद बंडा क्षेत्र में ग्राम गहिलुइयां के पास शारदा नहर के सीपेज से भैंसी नदी को जोड़ा। इससे 20 किमी तक नदी में पानी पहुंच गया, जिससे बंडा क्षेत्र के सात तालाब भर गए। अब शारदा नहर के भंवरखेड़ा के कुलाबे से नदी को चार्ज गोमती के संगम तक नदी को सदानीरा बनाने को प्रयास है। प्रशासन को नदी से डैम तक झाबर की मनरेगा से खुदाई कराकर कुलावे से जोडऩे का प्रस्ताव दिया गया है।

संकल्प : 20 जून तक नदी से जुड़ेगा कुलावा, 51 हजार लगेंगे पौधे

भैंसी नदी संरक्षण के अगुवाकार संजय उपाध्याय ने कहा कि भैंसी नदी को सदानीरा बनाने को पांच हजार लोगों ने संकल्प लिया है। संस्था की ओर से भैंसी के उद्गम पर 12 हजार, गोमती के संगम पर 13 हजार तथा 65 किमी के बीच 25 हजार पौधारोपण किया जाएगा।

भैंसी नदी के पुनर्जीवन में प्रशासन ने पूरा सहयोग दिया। आगे भी नदी को सदानीरा बनाए रखने के लिए मदद की जाएगी। मनरेगा से नदी को कुलावे से जोडऩे तथा अतिक्रमण मुक्ति के लिए भी मदद की जाएगी।

- महेंद्र ङ्क्षसह तंवर, सीडीओ


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