दो वक्त की रोटी के लिए मोहताज 109 साल का बागवां
अर्जुन सिंह के कमर के नीचे का हिस्सा साथ न देने की वजह से अब चल नहीं पाते हैं, केवल घिसटकर चंद कदमों की दूरी तय कर पाते हैं।
बरेली (जागरण संवाददाता)। अपने चार बेटों और तीन बेटियों समेत नौ लोगों के जिस परिवार की गृहस्थी को संवारने में उस शख्स ने अपने जीवन के 100 से ज्यादा बंसत कुर्बान कर दिए। उसके लिए अब अपने ही खून पसीने की कमाई से बनाए आशियाने में अब जगह नहीं है। यह दर्द है एक हादसे में पत्नी को भी गवां चुके 109 वर्षीय अर्जुन सिंह पटवा का।
पटवा गली में स्थित पटवा मंदिर एवं धर्मशाला में 109 वर्षीय अर्जुन सिंह की कहानी किसी वेदना से कम नहीं है। कमर के नीचे का हिस्सा साथ न देने की वजह से अब चल नहीं पाते हैं। केवल घिसटकर चंद कदमों की दूरी तय कर पाते हैं। शनिवार को तपती दोपहरी में उनका तीसरे नंबर का बेटा पटवा मंदिर एवं धर्मशाला में छोड़ गया। वहां भूखे पड़े होने पर पड़ोस के कुछ लोगों ने खाना दिया, सुबह किसी तरह घिसटकर नाली तक पहुंचे और खुले में शौच किया। इसके बाद पड़ोसियों ने नहलाया और दोबारा मंदिर में बैठा दिया।
अर्जुन सिंह से जब उनकी परेशानी के बारे में पूछा तो फफक कर रो पड़े। बोले कि उन्होंने घर बनवाया, सोचा था कि आराम से रहेंगे पर यह नहीं पता था कि बेटा मेरे ही घर से मुझे निकाल देगा। कहा कि अब कुछ कर नहीं पाता हूं। दो वर्षाें तक जमीन पर फड़ लगाकर गुजर की।
कुछ महीने पहले तक घर की बिजली का बिल, हाउस और वॉटर टैक्स खुद ही जमा करते थे। बोले, जबसे हाथ पैरों ने काम करना बंद कर दिया तब से करीब 25 सदस्यों वाले परिवार में उनके लिए न तो रोटी बची और न रहने को जगह।
बताया कि अंग्रेजी हुकूमत के दौरान ऐसे बेबसी भरे दिन नहीं देखे, जैसे अब हैं। बताया कि संविधान लिखने वाले डॉ. भीमराव अंबेडकर ने ऐसा कुछ नहीं लिखा जिससे कि बुढ़ापे में मां-बाप को उनके ही घर से निकालने से रोका जा सके। इसके बाद रोते-रोते बस इतना ही कह पाते हैं कि बहुओं का राज है, बेटा बेचारे क्या करें।
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पत्नी के शव से आने लगी थी बदबू: मदर्स डे पर तमाम बच्चे ऐसे हैं जो अपनी मां को उपहार देते हैं पर अर्जुन सिंह के बेटों ने अपनी मां को जो तोहफा दिया, उसे सुनकर आप भी ग्लानि से भर उठेंगे। मोहल्ले वासियों के मुताबिक अर्जुन सिंह पटवा की पत्नी रामवती देवी की मौत दो साल पहले नाले में गिरने की वजह से हुई थी। नाले में गिरने के बाद मोहल्ले के लोगों ने उन्हें घर में लिटा दिया था, जिसके कुछ दिनों के बाद उनकी मौत हो गई थी। उनके बेटों को तब पता चला था जब शव से बदबू आने लगी थी।
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