हड़ताल में बुनकर कारोबार से जुड़ा हर हाथ खाली
बिजली सब्सिडी बहाल किए जाने की मांग को लेकर जारी है बुनकरों की हड़ताल
बाराबंकी : बिजली पर सब्सिडी की पुरानी व्यवस्था बहाल किए जाने की मांग को लेकर बुनकरों जारी है। हड़ताल से प्रत्यक्ष व परोक्ष रूप से जिले के करीब 50 हजार परिवारों के सामने रोजी-रोटी का संकट है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जिस डिजाइन वाले गमछे को पहनकर मन की बात की उस डिजाइन के गमछों को बनाकर बुनकरों ने अपने हुनर का अहसास कराया। मोदी गमछा की मांग बढ़ने से लोगों में उत्साह का संचार हुआ था लेकिन बिजली पर सब्सिडी का तरीका बदले जाने के विरोध में बुनकर संगठन ने एक हफ्ते की हड़ताल कर दी। इससे गमछा व स्टोल की बुनाई करने वाले पावरलूम ठप हो गए। बुनाई के साथ ही रंगाई, छपाई, कढ़ाई व गांठ लगाने के साथ ही धुलने व सुखाने के काम में जिन लोगों को रोजगार मिलता था वह भी बेरोजगार हो गए। बुनकर बहुल जैदपुर में आठ सौ से ज्यादा पावरलूम हैं। लॉकडाउन के बाद मोदी गमछा बनाने वाले मो. वैश अंसारी ने बताया कि पहले आधा-आधा हार्स पावर के दो पावरलूम का बिजली बिल पहले 154 रुपये प्रतिमाह आता था। बड़ापुरा के जावेद अंसारी ने कहा कि 22 सदस्यों का परिवार है। आठ लोग स्टोल बनाने थे। दिन भर में दो पावरलूम पर 60 स्टोल बनते थे। स्टोल में गांठ लगाने, धागा रंगाई करने आदि में अन्य लोगों को भी काम मिलता था। 10 से 15 रुपये प्रति स्टोल पारिश्रमिक मिलता था। उसी से गुजारा होता था। लॉकडाउन में कर्ज लेकर दो वक्त के भोजन का इंतजाम किया। अब हड़ताल ने कमर तोड़ दी है। शाह आलम अंसारी ने कहा कि सरकार ने किसानों को सम्मान निधि, प्रवासी श्रमिकों व श्रम विभाग में पंजीकृत को राशन व एक-एक हजार रुपये दिए। लेकिन बुनकरों के लिए लॉकडाउन में कुछ नहीं किया। मो. शब्बीर अंसारी ने कहा कि हथकरघा उत्पाद स्टोल को सरकार ने एक जिला एक उत्पाद योजना में चयनित किया है फिर सहूलियत देने के बजाए बिजली सब्सिडी रोक कर परेशान किया जा रहा है।
बुनकर अधिकार संगठन के पदाधिकारियों ने हमें भी ज्ञापन देकर अपनी समस्याएं बताई हैं। बिजली पर सब्सिडी पुराने तरीके से बहाल करने के साथ ही अन्य समस्याओं के प्रति प्रदेश सरकार का ध्यान आकृष्ट कराया जाएगा।''
-उपेंद्र सिंह रावत, सांसद बाराबंकी
इनसेट- बुनकरों की बिजली सब्सिडी की समस्या के निदान का मामला शासन स्तर से ही हाल होगा। शासन के संज्ञान में हड़ताल की बात भी है। मनोज कांत गर्ग, सहायक आयुक्त, हथकरघा एवं वस्द्योद्योग, क्षेत्रीय कार्यालय लखनऊ