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श्रमदान से संवर उठी सूखी पड़ी रहने वाली सराही झील, ग्रामीणों ने दिया नया जीवन

उत्तर प्रदेश के बाराबंकी में सूख रही 43 हेक्टेयर चौड़ी झील को ग्रामीणों ने दिया नया जीवन बनी मेहमान परिंदों की आरामगाह।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Updated: Sat, 18 Jan 2020 12:15 PM (IST)
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श्रमदान से संवर उठी सूखी पड़ी रहने वाली सराही झील, ग्रामीणों ने दिया नया जीवन

जगदीप शुक्ल, बाराबंकी। उत्तर प्रदेश के बाराबंकी से आ रही यह खबर सुखद और सराहनीय है। सूखने की कगार पर पहुंच चुकी 43 हेक्टेयर चौड़ी सराही झील ग्रामीणों के श्रमदान से जी उठी है। सराहना के स्वर परिंदों काकलरव बन गूंज रहे हैं। कपासी हंस, भूरे रंग की टिटहरी, घोंघिल, जघिल, सारस, सैंडपाइपर, सेल्ही, लाल एनजन, कपासी चील, मुस्लिहिया आदि पक्षियों ने यहां डेरा डाला है। जिले के सराही गांव के समाजिक कार्यकर्ता सुशील सिंह वर्षों बाद इस तरह मेहरबान हुए मेहमान परिंदों को देखकर गदगद हैं। वह बताते हैं कि झील सूखने के चलते प्रवासी पक्षियों ने गांव से मुंह मोड़ लिया था। अब झील में भरपूर पानी है।

झील के कायाकल्प से न सिर्फ गांव की प्राकृतिक आभा लौटी है बल्कि इससे आसपास के गांवों का भूजल स्तर भी सुधरेगा। गांव को मिली इस प्राकृतिक नेमत के मिटने का मलाल लोगों के मन में था, लेकिन वे चाहकर भी कुछ कर नहीं पा रहे थे। बीते वर्ष पर्यावरण प्रेमी एसडीएम राजीव शुक्ल ने सूखने की कगार पर पहुंची झील को देखकर इसके संवद्र्धन का प्रयास शुरू किया, लेकिन बजट आड़े आया। इस पर उन्होंने आसपास के गांवों के प्रबुद्ध लोगों से संपर्क कर झील को बचाने के लिए आगे आने को कहा। सुशील सिंह, अजीत सिंह, दिलीप सिंह, रंगीलाल, रामलखन, रामनरेश, सचिन आदि लोगों समझाने में जुट गए। लोग राजी हुए और सराही गांव की प्रधान सरपता और मीननगर के प्रधान ज्ञान मिश्र के नेतृत्व में सबने बरसात से पहले ही झील के चारों ओर एक मीटर ऊंचा तटबंध बना डाला। बारिश में चार सौ मीटर तटबंध कट गया तो लोगों ने कड़ी मशक्कत करके उसकी मरम्मत भी की।

ग्रामीणों ने श्रमदान करके सराही झील को नया जीवन दिया है। इसके चलते यह प्रवासी पक्षियों से गुलजार हो गई है। यहां सारस बहुतायत में हैं। इसलिए इसे सारस पक्षी संरक्षण केंद्र बनाने का प्रस्ताव भेजा गया है। झील के चारों तरफ वृहद पौधारोपण भी कराने की भी योजना है।

-राजीव कुमार शुक्ल, एसडीएम रामसनेहीघाट