अनदेखी का शिकार पंचायत घर
अब पंचायत घरों से नहीं बनती विकास की परियोजनाएं । कहीं झाड़-झंखाड़ तो कहीं बेसहारा पशुओं का कब्जा
बाराबंकी : पंचायतों को सशक्तीकरण के लिए सरकारी प्रयास महज कागजों तक सीमित हैं। पंचायतों में ऑनलाइन कामकाज की कवायद करने वाली सरकार को पंचायत घरों की वर्तमान हालत आईना दिखा रही है। पंचायतों की बैठकें गांवों में बने पंचायत घर और मिनी सचिवालय में नहीं बल्कि ग्राम प्रधानों की मनमर्जी के मुताबिक स्थानों पर हो रही हैं, इस बात को बदहाल तस्वीर पुख्ता कर रही है। सोमवार को जागरण टीम की ओर से किए गए ऑन द स्पॉट में ज्यादातर ग्राम पंचायतों के पंचायत घर जर्जर मिले तो कहीं बेसहारा पशु बैठते हैं। बहुत से पंचायत घर तो झाड़-झखांड़ से घिरे हुए हैं और कुछ पर दूसरे विभागों का कब्जा है। ऐसे हालात तब हैं जब पंचायत चुनाव की सुगबुगाहट तेज हो चुकी है और गांवों की महत्ता को देखते हुए पंचायत भवनों का निर्माण कराया जा रहा है। प्रस्तुत है रिपोर्ट ..
पंचायत घरों पर हैं अवैध कब्जे सूरतगंज के मुख्यालय पर बने मिनी सचिवालय का निर्माण कार्य करीब दस वर्ष पहले हुआ था। प्रधान नसीमुन ने बताया कि अब तक इस भवन में एक बैठक आयोजित हुई है। त्रिवेदीगंज क्षेत्र के ग्राम पंचायत देवीपुर में लगभग दस वर्ष पूर्व मिनी सचिवालय का निर्माण कराया गया था। आबादी से दूर होने के चलते भवन अराजक तत्वों का अड्डा बना हुआ है। सचिवालय में बैठकें नहीं होती है। निदूरा क्षेत्र के कस्बा कुर्सी स्थित पंचायत भवन में पीआरवी ने अपना आवास बना रखा है। ओदार पंचायत भवन में कुर्सी थाने की पुलिस चौकी संचालित हो रही है। जर्जर तो कहीं पशु का बना अड्डा
सुबेहा क्षेत्र के ग्राम पंचायत शहरी इस्लामपुर के बदीपुर में पंचायत घर पांच वर्ष में दो बैठक की गई हैं। पंचायत भवन की हालत काफी जर्जर हो चुकीं हैं।
हथौंधा : ब्लॉक बनीकोडर क्षेत्र के ग्राम पंचायत मेडुवा और छंदवल गांव में पंचायत घर जर्जर हो चुका है। पंचायत भवन का इस्तेमाल न होने से खिड़की, दरवाजे गायब हो चुके हैं। सतरिख हरख ब्लॉक क्षेत्र की ग्राम पंचायत शाहपुर में बने पंचायत भवन का मुख्य गेट ही गायब है। पंचायत भवन का गेट चोर उखाड़ ले गए हैं। रामनगर ब्लॉक क्षेत्र के ग्राम पंचायत मीतपुर मिनी सचिवालय का निर्माण अधूरा है। ग्राम प्रधान सोनाक्षी त्रिवेदी का कहना है कि कई बार ब्लॉक में पत्र दिया पर सुनवाई नहीं हुई। अनदेखी के कारण मिनी सचिवालय खंडहर में तब्दील हैं। खिड़कियां, दरवाजे भी सब गायब हैं। इसमें पशु बैठते हैं। यह था उद्देश्य : पंचायत घर या मिनी सचिवायल का उद्देश्य गांव के विकास के लिए खुली बैठक करने, सचिव और प्रधान के बैठने का स्थल बनाया था। ताकि ग्रामीणों को विभिन्न योजनाओं का लाभ आसानी से मिल सके।
हाईटेक होंगी ग्राम पंचायतें : जिला पंचायत राज अधिकारी रणविजय सिंह ने बताया कि जिले में 1166 ग्राम पंचायतें हैं। इनमें 385 ग्राम पंचायतों में पंचायत घर नहीं हैं। 15वें वित्त और मनरेगा से 50-50 फीसद हिस्सेदारी से भवन निर्मित कराया जा रहा है। जहां की ग्राम पंचायतों की आबादी अधिक है और 15वें वित्त की धनराशि की किस्त अधिक है, वहां पर 20 लाख तक पंचायत घर बनेंगे। यहां सात कमरे और एक हाल और बरामदा बनेगा। जबकि कम आबादी वाली ग्राम पंचायतों में एक कमरा, एक हाल, बरामद से लेकर चार कमरों तक मिनी सचिवालय बनाया जा सकता है। यानी भवन निर्माण के लिए न्यूनतम 10 लाख और अधिकतम 20 लाख रुपये रखी गई है। यह भवन निर्माण के बाद हाईफाई और कंप्यूटर ऑपरेटर सहित कई कर्मचारी रखे जाएंगे, जो ग्राम पंचायतों का ऑनलाइन फीडिग का काम करेंगे।