कक्षाओं में दे रहीं संस्कार और सेहत की शिक्षा
जागरण संवाददाता बाराबंकी -सामूहिक प्रयास से शिक्षा की बुनियाद को मजबूत बनाने में जुटीं प्राथमिक विद्यालय भोजपुर गढ़ी की शिक्षिकाएं
जागरण संवाददाता, बाराबंकी :
'हम मेहनतवालों ने जब भी मिलकर कदम बढ़ाया।
सागर ने रास्ता छोड़ा पर्वत ने शीश झुकाया।
साथी हाथ बढ़ाना, साथी हाथ बढ़ाना।
एक अकेला थक जाएगा मिलकर बोझ उठाना।'
फिल्म नया दौर का यह गीत शिक्षा की तस्वीर बदलने में प्रेरणा का काम कर रहा है। सामूहिक प्रयास से सफलता का संदेश देते इस गीत को प्रेरणा मानकर काम कर रही हैं बंकी ब्लॉक के प्राथमिक विद्यालय भोजपुर गढ़ी की शिक्षिकाएं। पढ़ाने का सबका अंदाज अलग होने के बावजूद सहज, सरल और रुचिकर है। सबका उद्देश्य बच्चों को बेहतर माहौल देकर उनकी पठन-पाठन में रुचि पैदा कर शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार लाना है। इसके लिए वीडियो, वाट्सएप और कलाकृतियों तो कोई संगीत, खेलकूद और विभिन्न गतिविधियों के जरिए शिक्षण कार्य कर रहा है। इसके लिए विभिन्न संस्थाओं की ओर से विद्यालय की प्रधानाचार्य को नवाचारी शिक्षक का पुरस्कार भी मिल चुका है।
मेधा के विकास के लिए मन का स्वस्थ होना जरूरी
वर्ष 2014 में बतौर सहायक अध्यापक जिम्मेदारी संभालने वाली रश्मि पांडेय बच्चों को संस्कारों संग सेहत बनाने का भी पाठ दौरान पढ़ाती हैं। उनका मानना है कि स्वस्थ मन में ही स्वस्थ विचार जन्म लेते हैं। मेधा के विकास के लिए मन का स्वस्थ होना जरूरी है। वह बताती हैं कि बच्चों को पैर छूने, नमस्कार करने का तरीका और उसके लाभ के संबंध में बताया जाता है। कहा, पहले के बायोस्कोप की ही तरह एक व्हील बनाई है। इसके माध्यम से बच्चों को विभिन्न राज्यों के खानपान, वेष, नृत्य और वातावरण की जानकारी दी जाती है। कोरोना संक्रमण काल होने के कारण यह जानकारी वीडियो बनाकर वाट्सएप ग्रुप के माध्यम से बच्चों को दी जाती है।
महापुरुष और त्योहारों का भी कराते हैं ज्ञान
वर्ष 2012 से विद्यालय में अध्यापन कार्य कर रहीं अल्का श्रीवास्तव बच्चों को खेलकूद और अन्य गतिविधियों के माध्यम से बच्चों को महापुरुषों की जयंती पुण्यतिथि, पर्व, त्योहारों का पाठ पढ़ाया जाता है। अल्का बताती हैं कि कोरोना संक्रमण काल से पहले स्कूल में पर्व, त्योहारों और अन्य विशेष अवसर पर कार्यक्रम आयोजित होते थे। इसको लेकर बच्चों की तैयारी करवाई जाती थी। वीडियो दिखाकर अवसर से संबंधित प्रतियोगिताएं कराई जाती थीं ताकि बच्चे ज्यादा अपनी संस्कृति और महापुरुषों के संबंध में ज्यादा से ज्यादा जागरूक हो सकें। अब वही कार्य प्रधानाध्यापक ऋचा शर्मा की ओर से बनाए गए वाट्सएप ग्रुप में वीडियो और कलाकृतियों के जरिए किया जा रहा है।