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श्रमिकों को उनका हक दिला रहे डीके मिश्र

-जिला श्रम बंधु समिति व बाल श्रम एवं बंधुवा मजदूर निरोधक समिति का शासन ने नामित कर रखा है सदस्य -28 श्रमिकों को निकाले जाने के बाद कानूनी लड़ाई लड़कर कराई थी बहाली

By JagranEdited By: Published: Fri, 14 Aug 2020 11:21 PM (IST)Updated: Sat, 15 Aug 2020 06:04 AM (IST)
श्रमिकों को उनका हक दिला रहे डीके मिश्र
श्रमिकों को उनका हक दिला रहे डीके मिश्र

बाराबंकी : मुहल्ला अभय नगर निवासी अधिवक्ता देवेंद्र कुमार मिश्र (डीके मिश्र) अपनी वकालत के जरिए श्रमिकों को भी उनका हक दिलाने का काम सूत मिल श्रमिक संगठन के अध्यक्ष के रूप में करीब तीन दशक से कर रहे हैं। बाल श्रमिकों व बंधुवा मजदूरों को मुक्त कराने में भी इन्होंने समय-समय पर अहम भूमिका निभाई। इनके श्रमिक हितैषी कार्यों के लिए शासन ने इन्हें जिला श्रम बंधु समिति व बाल श्रम एवं बंधुवा मजदूर निरोधक समिति में भी सदस्य नामित किया है।

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दरियाबाद क्षेत्र के इटोरा गांव के मूल निवासी डीके मिश्र ने वर्ष 1984 में वकालत शुरू की। जिला मुख्यालय स्थित राज्य कताई मिल के कई श्रमिक इनके साथी थे। वकील होने के नाते उनकी विभिन्न मामलों में पैरवी के साथ ही धरना-प्रदर्शन एवं आंदोलन में सहयोग करते हैं।

अधिकारियों से बातचीत में अग्रणी भूमिका निभाते। इसके चलते इन्हें उत्तर प्रदेश राज्य कताई मिल श्रमिक संगठन में विशेष आमंत्रित सदस्य के रूप में शामिल कर विधिक सलाहकार का दायित्व सौंपा गया। तब गोरखपुर क्षेत्र के श्रमिक नेता अनुग्रह नरायण सिंह उर्फ खोखा सिंह (जो विधायक भी रहे) संगठन के अध्यक्ष थे। स्थानीय श्रमिकों ने चुनाव में डीके मिश्र को अध्यक्ष चुन लिया। इसके बाद सूत मिल में अस्थाई रूप से काम करने वाले माली व अन्य चतुर्थ श्रेणी के 28 कर्मचारियों को एक साथ निकाला गया तो उनकी बहाली स्थाई श्रमिक के रूप में कराकर श्रमिकों पर अपना भरोसा और पक्का किया। बीआरएस की प्रक्रिया चली तो श्रमिकों की ग्रेच्युटी, फंड आदि देयकों का भुगतान में भी अहम भूमिका अदा की।

सूतमिल वर्ष 2015 में बंद हो गई। लेकिन जिन श्रमिकों के देयक बकाया हैं उन्हें दिलाने का काम कर रहे हैं। सूतमिल के अलावा अन्य निजी फैक्ट्रियों के श्रमिक उत्पीड़न के मामलों को सुलझाने में प्रयासरत हैं।


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