कैसे खेले जइबे सावन में कजरिया..
दैनिक जागरण के फेसबुक पेज पर लोककलाकार वागीशा पंत ने दीं कई प्रस्तुतियां
बाराबंकी : 'कैसे खेले जाईबे सावन में कजरिया, दुल्हन चली, बहन चली, तीन रंगों की टोली, ऐसा देश है मेरा' जैसे लोकगीतों पर लोककलाकार वागीशा पंत ने रविवार को नृत्य की मनमोहक प्रस्तुति दी। दैनिक जागरण के फेसबुक पेज पर शाम पांच बजे से छह बजे तक लाइव रहकर नौ वर्षीय नन्हीं कलाकार ने लोगों से लोक कलाओं के संरक्षण की अपील की और संस्कृति से जुड़ाव में इनकी भूमिका को महनीय बताया। उन्होंने प्रस्तुतियों की शुरुआत भोर भई दिन चढ़ गया मोरी अंबे देवी गीत से की। उत्तराखंड की मूल निवासी वागीशा पंत लखनऊ में अपने परिवार के साथ रहती हैं। वह जिले के देवा, महादेवा के साथ ही देश के तमाम बड़े मंचों पर अपनी प्रस्तुतियां दे चुकी हैं। इन्होंने क से ज्ञ तक वर्णमाला के क्रम में लोकगीतों की कड़ियां पर प्रस्तुति दी है, जिसकी सराहना हो रही है। वागीशा ने राजस्थान के रेशम का रुमाल, हरियाणा के कउ दिन उठ गयो मेरो हाथ, गढ़वाल के मन भर मैगे मेरो, कुमाऊंनी के तेरो लहंगा, मोहना तू बैठे-बैठे मेरे दिल मा, भोजपुरी गीत 'वोहार दुल्हा हो सवर, संवल सुरतिया तुहार, 'सखी फूलै ओढ़े चल फुलवरिया सीता संग सहेलियां, 'बन्ना बुलाए बन्नी नहीं आए.चली आओ बन्नी रे सूनी पड़ी अटरिया, 'जोगनियां आओ न जोग लगाओ ना, रानी बेटी राज करेगी आदि पर प्रस्तुति दी। वागीशा ने कहा कि कोरोना काल चल रहा है, ऐसे में हमें देश के साथ चलना है।