नारी सशक्तीकरण का संदेश देता है शेख मोहम्मद हसन गेट
नारी सशक्तिकरण का मूक गवाह है शेख मोहम्मद हसन गेट
बाराबंकी : सैय्यद कुर्बान अली शाह की याद में लगने वाला देवा मेला नारी सशक्तीकरण की भी मिसाल है। इसके शुभारंभ की बागडोर डीएम की पत्नी के हाथ में होती है। वहीं इसका समापन एसपी की पत्नी करती हैं। मेला परिसर में बना शेख मोहम्मद हसन गेट दशकों से हाजी वारिस अली शाह द्वारा महिलाओं को तरजीह दिए जाने का मूक साक्षी बना खड़ा है। इसी गेट पर हर साल डीएम की पत्नी फीता काट कर दस दिवसीय देवा मेला का शुभारंभ करती हैं।
सूफी संत हाजी वारिस अली शाह ने समाज को एकेश्वरवाद और परस्पर सौहार्द का संदेश दिया। वह औरतों को तरजीह के हिमायती थे। इसी से उनके वालिद के मेले का शुभारंभ आज भी परंपरानुसार जिले के कलेक्टर और समापन कप्तान की पत्नी के हाथों होता है। शहनाई, बैंडबाजे और आतिशबाजी के बीच शेख मोहम्मद हसन गेट पर फीता काटकर मेले का आगाज होता है। शांति के प्रतीक कबूतर उड़ाकर दुनिया को अमन का संदेश दिया जाता है। अपने निर्माण काल से शेख मोहम्मद हसन गेट मेले की पहचान बन चुका है। देवा मेला का समापन आतिशबाजी छुड़ाकर कप्तान की पत्नी के हाथों होने से देवा मेला नारी सशक्तीकरण की मिसाल बन चुका है। आठ दशक पुराना है एजाज रसूल गेट
मेला परिसर में बने एजाज रसूल और शेख मोहम्मद हसन गेट का निर्माण कई दशक पहले हुआ था। दोनों गेट मेले की शान हैं। एजाज रसूल गेट का निर्माण जहांगीराबाद के राजा एजाज रसूल की याद में 20 अगस्त 1939 को हुआ था। अंग्रेजों के शासनकाल में तत्कालीन मेला अध्यक्ष मोहम्मद वहाजुद्दीन अब्बासी और सचिव शेख मोहम्मद हसन ने इसका उद्घाटन किया था वहीं शेख मोहम्मद हसन गेट उस समय के देवा मेला के सेक्रेटरी शेख मोहम्मद हसन की यादों को संजोए है। शेख मोहम्मद हसन गेट भी कई दशक पुराना है। इसी गेट पर मेले के शुभारंभ की रस्म अदा होती है।