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तीव्र मोड़ हो या स्पीड ब्रेकर, नहीं लगे हैं संकेत

मौसम में बदलाव के चलते धुंध के साथ ही सुबह-शाम कोहरा भी पड़ने लगा है। लेकिन हाईवे और अन्य मार्गाें पर तीव्र मोड़ क्षतिग्रस्त पुल-पुलिया और डिवाइडर के पास संकेतक नहीं लगाए गए हैं।

By JagranEdited By: Published: Tue, 07 Dec 2021 11:14 PM (IST)Updated: Tue, 07 Dec 2021 11:14 PM (IST)
तीव्र मोड़ हो या स्पीड ब्रेकर, नहीं लगे हैं संकेत
तीव्र मोड़ हो या स्पीड ब्रेकर, नहीं लगे हैं संकेत

बाराबंकी : मौसम में बदलाव के चलते धुंध के साथ ही सुबह-शाम कोहरा भी पड़ने लगा है। लेकिन, हाईवे और अन्य मार्गाें पर तीव्र मोड़, क्षतिग्रस्त पुल-पुलिया और डिवाइडर के पास संकेतक नहीं लगाए गए हैं। इससे हादसों की आशंका है। ऐसे में अगर आप बाराबंकी में हाईवे अथवा अन्य सड़कों से गुजर रहे हैं तो सतर्कता बरतते हुए वाहन चलाइए। अन्यथा की स्थिति में हादसे का शिकार हो सकते हैं। मंगलवार को दैनिक जागरण की टीम ने पड़ताल की तो ज्यादा ऐसे स्थानों पर संकेतक लगे नहीं मिले। प्रस्तुत है रिपोर्ट..

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बांसा : लखनऊ-बहराइच हाईवे पर स्थित मसौली चौराहे पर संकेतक न होने के कारण डिवाइडर में कई बार बड़े वाहन टकरा चुके हैं। सहादतगंज जाने वाली सड़क पर भी संकेतक न होना हादसे का दावत दे रहे हैं। मसौली-बड़ागांव मार्ग, बड़ागांव, नसीर नगर, जकरिया जाने वाली सड़कों पर भी संकेतक दिखते ही नहीं हैं।

सूरतगंज : महादेवा-सूरतगंज मार्ग का चौड़ीकरण हो रहा है। इस मार्ग पर एक भी मोड़ व पुलिया के पास संकेत नहीं लगे है। कुरेलवा गांव के निकट स्थित सकरी पुलिया के पास स्पीड ब्रेकर बना है, लेकिन संकेतक नहीं लगे हैं। सतरिख : नगर पंचायत से होकर गोसाईगंज लखनऊ को जोड़ने वाली सड़क पर अख्तियारपुर गांव के मोड़ के पास संकेतक नहीं है। गांव के रामदेव व देवता यादव का कहना है कि अंधा मोड़ है ।इसके बाद भी संकेतक नहीं लगाया गया है। गणेशपुर सड़क मार्ग से मीतपुर, गोबरहा, लोधेश्वर महादेवा तीर्थ को जाने वाली सड़क पर गोबरहा निकट अंधा मोड़ और स्पीड ब्रेकर है। लेकिन संकेतक नहीं लगा है। इससे कई बार तीव्र गति से चलने वाले वाहन दुर्घटनाग्रस्त हो चुके हैं। कर्नलगंज, जरवल रोड, लहाड़रा, मड़ना, लोहटी जेई, गणेशपुर, मीतपुर गांव के शिवभक्त सोमवार को मेला लगने पर इसी सड़क से दर्शन करने पहुंचते हैं। यहां न तो गांव के नाम लिखे हैं और न ही स्पीड ब्रेकर और तीव्र मोड़ के संकेतक ही हैं। इस मार्ग पर जगह-जगह गड्ढे भी हैं, जिसे डामर-गिट्टी से भरने की औपचारिकता निभाई गई है।


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