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हवा न दवा, मरीज बेहाल

बाराबंकी : जिला चिकित्सालय व जिला महिला चिकित्सालय में स्वास्थ्य सेवाओं की बदहाली आए दिन होने वाले व

By JagranEdited By: Published: Sat, 08 Sep 2018 11:34 PM (IST)Updated: Sat, 08 Sep 2018 11:34 PM (IST)
हवा न दवा, मरीज बेहाल
हवा न दवा, मरीज बेहाल

बाराबंकी : जिला चिकित्सालय व जिला महिला चिकित्सालय में स्वास्थ्य सेवाओं की बदहाली आए दिन होने वाले विवाद का कारण बनती है। शुक्रवार को वकील से चिकित्सक का विवाद भी जिला चिकित्सालय की इमरजेंसी में स्वास्थ्य सेवाओं की बदहाली को लेकर जिस समय हो रहा था उसी समय जिला महिला चिकित्सालय में अपर निदेशक एक प्रसूता की अस्तपाल का गेट न खुलने से हुई मौत की जांच कर रहे थे फिर गर्भवती महिलाएं अल्ट्रासाउंड कक्ष के सामने फर्श बैठी रही। दोनों ही मामले शनिवार को सुर्खियों में पर तनिक भी असर दिखाई नहीं पड़ा। दो घंटे हाथ में लिए रहे ग्लूकोज की बोतल

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शनिवार की दोपहर करीब एक बजे जिला चिकित्सालय की इमरजेंसी का हाल शुक्रवार से भी बद्तर रहा। चक्कर आने से गिरकर बीमार हुए सत्यप्रेमी नगर निवासी पुत्तन दो घंटे से स्ट्रेचर ही पड़े थे। उन्हे ग्लूकोज की बोतल लगाई। स्टैंड न होने से बारी-बारी उनके परिजन बोतल हाथ में टांगे रहे और अव्यवस्था पर नाराजगी जता रहे थे। डायरिया से पीड़ित छह वर्षीय शिवा व सात वर्षीय शिवम को भी ग्लूकोज स्ट्रेचर पर लिटाकर ही चढ़ाया जा रहा था। शिवा के पिता लायकराम ने बताया कि सुबह आठ बजे ही इमरजेंसी में आ गए थे, आधा घंटा तक किसी ने सुना नहीं। फिर एक इंजेक्शन लगाया गया। 12 बजे ग्लूकोज की बोतल लगाई गई दस्त रुक नहीं रहे। बेड भी नहीं मिला। दुलहीपुर के प्रेमचंद वर्मा को झटके आ रहे थे उसे भी बेंच पर लिटाकर ग्लूकोज चढ़ाया जा रहा था और पत्नी इसलिए परेशान थी कि ग्लूकोज लगाने के बाद कोई देखने वाला नहीं है। बेड भी नहीं मिल रहा। कोई दूसरी दवा भी नहीं दी गई। इसी दौरान बुखार से पीड़ित आधा दर्जन लोग आए जिन्हें बुखार में दी जाने वाली पैरासीटामॉल गोली भी नहीं मिली। पता चला पैरासीटामॉल दो महीने से नहीं हैं।

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गर्मी में बेहाल जच्चा-बच्चा

बाराबंकी : जिला महिला चिकित्सलालय में डेढ़ बजे जच्चा-बच्चा गर्मी से बेहाल दिखे। बरामदे में छह प्रसूताएं बेड पर लेटी दिखाई पड़ी जिनके तीमारदार जच्चा-बच्चा दोनों को गर्मी से बचाने के लिए हाथ से पंखा झलते दिखे। निगरी गांव की सुनीता की डिलीवरी दो दिन पहले, निर्मला की तीन दिन पहले, जैनब की दो दिन पहले व रुबी की एक दिन पहले डिलीवरी हुई है। गर्मी से सभी बेहाल रहीं। निर्मला ने बताया घर से पंखा लाकर लगाने की कोशिश की तो चिकित्सा कर्मियों ने मना कर दिया। मजबूरी में दिन काटना है। प्रसूताओं के लिए शोपीस नवीन भवन : महिला चिकित्सालय में 100 बेड का पांच मंजिला भवन एक साल पहले बन गया था। ओपीडी भी इसी भवन में संचालित हो गई पर प्रसूताओं को भर्ती नहीं किया जा रहा।

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''जिला चिकित्सालय व जिला महिला चिकित्सालय में स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार के निर्देश चिकित्सा अधीक्षकों को दिए गए हैं। सुधार न हुआ तो कार्रवाई की जाएगी।''

-उदयभानु त्रिपाठी, डीएम बाराबंकी


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