झाड़ी में फेंकी गई नवजात को मिली ममता की छांव
-नहर पटरी पर झाड़ी में मिली नवजात संवादसूत्र दरियाबाद (बाराबंकी) मां की ममता मंगलवार को तार-तार दिखाई पड़ी। ममता का गलाघोंट मां अपनी ही बच्ची को झाड़ी में फेंक गई। बच्चों के जीवन रक्षा के लिए किसी भी हद तक जाने वाली मां ने नवजात की जिदगी की परवाह तक नहीं की। नवजात के रोने की आवाज सुनकर पहुंची महिला ने उसे ममता की छांव दी। दरियाबाद क्षेत्र के नवाबगंज पुल के बीच नहर पटरी किनारे कांटों की झाड़ी में एक नवजात बच्ची कपड़ों में लपेट कर फेंका गया। नहर के निकट पशु चरा रहे चरवाहों ने बच्ची के रोने की आवाज सुनी। तभी नवाबगंज की महिला साजिदा बानो भी वहीं पहुंची। उसने कांटों के बीच पड़ी नवजात को बाहर निकाला। तब तक काफी लोग एकत्र हो गए। लोगों ने नवजात को देख कर निर्मम मां को जमकर कोसा। इसके बाद साजिदा बच्ची को घर ले गई। वहां उसे दूध पिलाया। यहां पर जाको राखे साईयां मार सके न कोय वाली कहावत भी चरितार्थ हुई।
बाराबंकी : नवजात को जन्म देने वाली मां का दिल उसे झाड़ियों में फेंकते वक्त भले ही नहीं पसीजा हो पर एक महिला की ममता उसका रुदन सुनकर खुद को नहीं रोक पाई। बच्ची रोने की आवाज सुनकर एक महिला ने उसे अपनी ममता की छांव दी।
दरियाबाद क्षेत्र के नवाबगंज पुल के बीच नहर पटरी किनारे कांटों की झाड़ी में एक नवजात बच्ची कपड़ों में लपेट कर फेंका गया। नहर के निकट पशु चरा रहे चरवाहों ने बच्ची के रोने की आवाज सुनी तभी नवाबगंज की महिला साजिदा बानो भी वहीं पहुंची। उसने कांटों के बीच पड़ी नवजात को बाहर निकाला तब तक काफी लोग एकत्र हो गए। लोगों ने नवजात को देख कर निर्मम मां को जमकर कोसा। इसके बाद साजिदा बच्ची को घर ले गई। वहां उसे दूध पिलाया। यहां पर जाको राखे साइयां मार सके न कोय वाली कहावत भी चरितार्थ हुई।