सरकार से उम्मीद लगाए हैं हुनरमंद हाथ
बाराबंकी टाइल्स फिटिग स्टील फैक्ट्री एसी फ्रिज कंपनी और कंपनियों के श्रमिक मांग रहे योग्यता के हिसाब से काम
बाराबंकी : प्रवासी श्रमिक अब घर लौटने के बाद सरकार से यह उम्मीद लगाए हैं कि उन्हें उनकी जरूरत व हुनर के मुताबिक रोजगार मिलेगा। मुख्यमंत्री ने घोषणा भी कर रखी है कि हुनर के मुताबिक लोगों को रोजगार दिया जाएगा। मुंबई में टाइल्स फिटिग का काम करने वाले अमर सिंह, आकाश, दिल्ली की स्टील फैक्ट्री में काम करने वाले बेहराइची, हिमाचल प्रदेश में एसी, फ्रिज कंपनी में काम करने वाले मयाराम आदि अब लौटकर जाना नहीं चाहते। दरियाबाद में एक चाय की दुकान पर बैठे मिले इन प्रवासियों की चर्चा का प्रमुख बिदु यही था कि सरकार ही दिशा-दशा तय करे।
रेलवे स्टेशन दरियाबाद निवासी अमर सिंह वर्मा ने बताया कि वह मुंबई में टाइल्स का काम दस वर्ष से कर रहे थे, लेकिन इधर घर लौटकर बेरोजगार हैं। इनका कहना है कि यहां लोक निर्माण विभाग, मंडी परिषद की निर्माण इकाई के साथ ही भवन निर्माण करने वाली कंपनियों में सरकार सुरक्षित तरीके से रोजगार दिला सकती है। मुंबई में ही आकाश वर्मा भी टाइल्स फिटिग में काम करते थे। आकाश ने भी कहा कि अब सरकार का ही सहारा है। इस्तियाक दिल्ली में सिलाई का काम करते थे। गांव में अब कोई काम नहीं। इनका कहना है कि हम जैसे लोगों को सरकार दुकान व सिलाई मशीन आदि उपलब्ध करा दे तो स्वरोजगार कर लेंगे। यहां पैसा कम मिलेगा लेकिन दो वक्त की रोटी का इंतजाम तो हो ही जाएगा। सूबेदार व सलमान ने बताया कि वह मुंबई में होटल पर भोजन बनाते थे। अब गांव में लौटकर अचानक खेती का काम करना मुश्किल हो रहा है। लॉक डाउन के दौरान बाहर का खाना-पीना लोगों का बहुत कम हुआ है। ऐसे में यह धंधा अब पहले जैसा नहीं चलेगा। सरकार को चाहिए कि हम जैसे लोगों को सरकारी संस्थानों में रसोईया के पद पर प्राथमिकता से भर्ती कराए। बेहराइची ने बताया कि वह दिल्ली की स्टील फैक्ट्री में काम करते थे, यहां ऐसी फैक्ट्री नहीं है। सरकार ही तय करे कि यूपी में ही काम मिले। दिल्ली होटल में काम करने वाले साबित अली बोले कि सरकार को हम लोगों की ओर ध्यान जल्दी देना चाहिए क्योंकि धान की रोपाई के बाद दो माह तक तो न खेती में कोई काम रहेगा और न ही मनरेगा का काम चलेगा। ग्राम भेलौना के मायाराम हिमांचल प्रदेश के हिनामत गुड शहर में एंपायर कंपनी में मैकेनिक थे। फ्रिज में मोटर फिटिग का काम करता थे। गांव लौटकर चाहते हैं कि यूपी में ही कहीं किसी कंपनी में काम मिल जाए।