आस्था से चटख हो रहा महादेवा महोत्सव का रंग
बाराबंकी : लोधेश्वर महादेव के प्रति आस्था से महादेवा महोत्सव का रंग चटख हो रहा है। आस्था के आगे अव्य
बाराबंकी : लोधेश्वर महादेव के प्रति आस्था से महादेवा महोत्सव का रंग चटख हो रहा है। आस्था के आगे अव्यवस्थाएं भी बौनी पड़ रही हैं। गैर जिलों से आने वाले श्रद्धालुओं के जत्थे मेले में रुककर न सिर्फ लोधेश्वर महादेव की पूजा-अर्चना करते हैं बल्कि सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आनंद भी लेते हैं। शिव भक्तों की खास बात यह होती है कि वह अपने आप में किसी कलाकार से कम नहीं होते। नाचते-गाते शिव भक्तों की टोलियां भी मेला का आकर्षण बनती हैं।
मेले में लखनऊ, कानपुर, उरई, जालौन, झांसी, फैजाबाद, अमेठी, अंबेडकर नगर रायबरेली, सीतापुर, बहराइच, बलरामपुर व गोंडा आदि आसपास के जिलों के अलावा ¨भड, मुरैना, ग्वालियर, छतरपुर, मध्य प्रदेश, बुंदेलखंड से भी श्रद्धालु आते हैं। कानपुर के शिव नंदन ने बताया कि वह महाशिवरात्रि, कजरी तीज व अगहनी मेले में पिछले 15 साल से आ रहे हैं। रैन बसेरा न होने का भी कोई गम नहीं रहता है। बाग में पेड़ के नीचे भी रह लेते थे। अब तो ऑडिटोरियम बन गया है। सांस्कृतिक कार्यक्रमों के बाद ऑडिटोरियम में रुक जाते हैं। उरई के जगमोहन ने बताया कि वह अपने परिवार के साथ पिछले 10 साल से मेला में आते हैं। कम से कम एक रात जरूरत रुकते हैं। सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आनंद लेने के साथ ही दो बार जलाभिषेक का मौका भी मिल जाता है। मंदिर में बैठकर जाप भी कर लेते हैं।
मेला में पूजन सामग्री बेचने वाले भी खुश हैं। राम कुमार ने बताया कि लोधेश्वर महादेव की कृपा से लोधौरा व आसपास के गांवों के लोगों को मेला के जरिए रोजगार भी मिलता है।
सांस्कृतिक कार्यक्रमों से बढ़ रही ख्याति : महादेवा महोत्सव में बेहतरीन सांस्कृतिक कार्यक्रमों से ख्याति बढ़ रही है। वर्ष 2014 में तत्कालीन डीएम योगेश्वर राम मिश्र ने ऑडिटोरियम का निर्माण कराने के साथ ही उसमें गीत, संगीत, हास्य व्यंग्य सहित विभिन्न क्षेत्र के नामचीन लोगों को बुलाने की पहल की थी। इससे मेला महोत्सव में तब्दील हो गया।