शराब की भट्ठियों ने लील लिया गांव का विकास
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बाराबंकी : देवां मार्ग पर कुर्सी से करीब दो किलोमीटर की दूरी पर स्थित है कच्ची शराब के अवैध कारोबार के कुख्यात बेहड़पुरवा। कुर्सी ग्राम पंचायत के हिस्सा इस गांव की तस्वीर पर सिर्फ दाग ही दाग हैं। आजादी के सात दशक बाद भी यहां की नालियां गंदगी से बजबजा रही हैं। गांव तक जाने के लिए सीसी रोड तो दूर एक अदद खड़ंजे का भी निर्माण नहीं कराया जा सका है। गांव में अफसर तो नहीं हां शराब के खिलाफ अभियान चलाए जाने पर कभी-कभार पुलिस की जरूर पहुंच जाती है। विकास से कोसों दूर यह गांव शराब बरामदगी अभियान का हिस्सा जरूर बनता है। ज्यादातर परिवार शिक्षा की रोशनी से भी जगमग नहीं हो सके हैं। यहां के हालत देखकर लगता है जैसे कच्ची शराब की धधकती भट्ठियों ने इस गांव का विकास ही लील लिया हो। प्रस्तुत है रिपोर्ट.. खेती न छत, पेट पालना है मजबूरी पेट पालने के लिए रोजगार तलाशना तो ठीक है, लेकिन कच्ची शराब या किसी अवैध कारोबार को किसी भी माने में सही नहीं ठहराया जा सकता है। हांलाकि, इस गांव के लोग इस कारोबार को अपनी मजबूरी और इसकी वजह विकास कार्यों में उपेक्षा को मानते हैं। वंशराज ने बताया कि गांव के में ज्यादातर लोग इस शराब के कारोबार से जुडे़ हैं। खेती न होने और सरकारी योजनाओं में उपेक्षा के चलते ग्रामीण इस दलदल से नहीं निकलने की कोशिश भी नहीं करते। बादल भी इसे मजबूरी का धंधा बताते हैं। उनका कहना है कि यदि गांव को विकास की मुख्यधारा से जोड़ दिया जाए तो लोग इस कारोबार से नाता तोड़ने को तैयार हैं। वीरेंद्र मानते हैं। इसमें पीढि़यां खप रही हैं, लेकिन गांव की बदहाली से अफसर भी नजरें फेरे हुए हैं। --------------
यहां नहीं पहुंची उज्जवला
गांव की निवासिनी लक्ष्मी ने बताया कि वह चूल्हे पर खाना बना रही है। उज्ज्वला योजना के बारे में पूछने पर बताया कि उसे इसके बारे में कोई जानकारी नहीं है और न ही किसी ने इसके बारे में किसी ने बताया। सपना, लवली आदि भी उज्ज्वला योजना के लाभ से वंचित हैं। दिव्यांग बबली (40) को पेंशन बंद होने की ¨चता तो विधवा गायत्री को कई बार अधिकारियों के चक्कर काटने के बाद भी पेंशन न मिलने से निराशा है।
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फैक्ट फाइल
आबादी : 150
घर : 15
स्कूल, अस्पताल- नहीं
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शराब का अवैध कारोबार कर रहे लोगों को यह धंधा छोड़ना ही होगा। उन्होंने बताया कि गलत काम करने वालों को किसी भी कीमत पर छोड़ा नहीं जाएगा। उन्हें कोई योजनाओं का लाभ मिल रहा है या नहीं यह बाद में देखा जाएगा।
-रामनरायण यादव, एसडीएम, फतेहपुर।