अन्य बच्चों की तरह ''काव्या' भी देखने लगी दुनिया
जीवन में आंखों की अहमियत क्या होती है यह उस बालिका से अधिक कौन जान सकता है। जो अब जन्म के तीन साल बाद दुनिया देख रही है। आरबीएसके की टीम ने सीतापुर के आंख अस्पताल में बच्ची का सफल ऑपरेशन कराया है।
बाराबंकी : जीवन में आंखों की अहमियत क्या होती है, यह उस बालिका से अधिक कौन जान सकता है। जो अब जन्म के तीन साल बाद दुनिया देख रही है। आरबीएसके की टीम ने सीतापुर के आंख अस्पताल में बच्ची का सफल ऑपरेशन कराया है।
विकास खंड सूरतगंज के लालपुर करौता के तीरथराम की तीन वर्षीय काव्या को जन्म से दोनों आंखों में मोतियाबिद था। परिवारजन ने निजी डॉक्टर को दिखाया तो उसे ऑपरेशन के लिए बोला गया। अधिक खर्च के चलते परिवारजन हार कर मायूस हो चुके थे। इसी बीच एक दिन राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम की टीम आंगनबाड़ी केंद्र पहुंची। जहां टीम के डॉ. प्रवीण, डॉ. प्रदीप के साथ नेत्र परिक्षण अधिकारी डॉ. अरशद व अमरेंद्र को बच्ची में मोतियाबिद के जानकारी हुई। तो टीम उसे सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र सूरतगंज ले आई। सीएचसी प्रभारी डॉ. राजर्षि त्रिपाठी ने बालिका को जिले के लिए रेफर कर दिया। आरबीएसके के डीआईसी डॉ. अवधेश उसे सीतापुर जिले के सरकारी आंख अस्पताल ले गई। जहां दो डॉक्टरों की टीम ने बालिका का सफल ऑपरेशन किया। निश्शुल्क हुए ऑपरेशन से परिवारजन में खुशी का ठिकाना न रहा। उन्होंने बताया कि आरबीएसके की टीम की उसकी बच्ची के लिए वरदान बन गई। अब बालिका अन्य बच्चों की तरह भी देखने लगी है।
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चार अप्रैल का दिन नहीं भुला पाएंगे चिकित्सक बाराबंकी: जिले में कोविड वैक्सीन लगवाने का सिलसिला शुरू हो गया है। इन सबके बीच कोरोना महामारी के वे दिन भी चिकित्सक नहीं भूल पाएंगे जब पहला मामला यहां सामने आया था।
सतरिख में मिला था पहला मरीज सतरिख: विगत चार अप्रैल 2020 की शाम पांच बजकर 35 मिनट का वक्त सतरिख के चिकित्सक और कर्मचारी जीवन में कभी भुला नहीं पाएंगे। बदोसराय के मैलारायगंज निवासी कोरोना पॉजिटिव मो. साद को यहां भर्ती कराया गया था। यह पहला मरीज था। भर्ती के समय चिकित्सक से लेकर कर्मचारी और स्टाफ नर्स आंखों में आंसू छलक पड़े थे। यह आंसू इस बात के लिए नहीं छलके थे कि अब मेरे जीवन का क्या होगा बल्कि जिले में कोरोना पॉजिटिव की आमद को लेकर ज्यादा बह रहे थे। एंबुलेंस मरीज को लेकर जब सीएचसी के मुख्य द्वार पर पहुंची थी, तो उस समय अधीक्षक डॉ. सुनील जायसवाल अपनी टीम के साथ उसके इलाज में जुट गए। डर तो था लेकिन जंग जीतने के जज्बे के आगे आखिर कोरोना पॉजिटिव मरीज कुछ दिनों बाद जांच में निगेटिव निकला। इसके बाद स्टाफ ने राहत की सांस ली थी।