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स्वास्थ्य महकमा बीमार, इलाज की दरकार

बाराबंकी : स्वास्थ्य महकमे को खुद के इलाज की जरूरत है। जिले के 17 सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में से

By JagranEdited By: Published: Wed, 12 Sep 2018 12:20 AM (IST)Updated: Wed, 12 Sep 2018 12:20 AM (IST)
स्वास्थ्य महकमा बीमार, इलाज की दरकार
स्वास्थ्य महकमा बीमार, इलाज की दरकार

बाराबंकी : स्वास्थ्य महकमे को खुद के इलाज की जरूरत है। जिले के 17 सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में से किसी पर विशेषज्ञ चिकित्सक की तैनाती नहीं की गई है। इसके अलावा अन्य संसाधनों का भी टोटा है। अब तक ट्रामा सेँटर भी चालू नहीं हो सका है। सीएचसी पर नहीं है विशेषज्ञ : नियमानुसार हर सीएचसी पर विशेषज्ञ चिकित्सकों की तैनाती होनी चाहिए। मगर जिले में किसी भी सीएचसी पर विशेषज्ञ चिकित्सक की तैनाती नहीं है। हर सीएचसी पर फिजीशियन, सर्जन, पैथालाजिस्ट, डेंटल सर्जन के विशेषज्ञ चिकित्सक अवश्य होने चाहिए।

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ट्रामा सेंटर नहीं हो सका चालू : जिला चिकित्सालय में ट्रामा सेंटर का भवन तो बना है। मगर उपकरण व मैन पॉवर की कमी आज तक दूर नहीं हो सकी है। जिसके चलते ट्रामा सेंटर आजतक चालू नहीं किया जा सका है। जिला चिकित्सालय के निकट बने महिला अस्पताल के विस्तार के नाम पर बहुमंजिला इमारत बनकर तैयार हो गई है। लेकिन संसाधन की कोई व्यवस्था नहीं है। जिला महिला चिकित्सालय के संसाधन से ही बहुमंजिला इमारत में नीचे का परिसर संचालित हो रहा है। यहां जनरेटर तक की भी व्यवस्था नहीं है। कई सीएचसी पर नहीं लग सके बेड : भले ही चिकित्सा स्वास्थ्य मंत्री बेहतर स्वास्थ्य सेवाओं के लिए विभिन्न प्रयास कर रहे हो। मगर जिले की छह सीएचसी ऐसी है जहां बेड तक पर्याप्त नहीं है। नियमत: 30 बेड होने चाहिए। मगर जैसे तैसे पांच या छह बेड के सहारे मरीजों को भर्ती किए जाने का दावा किया जा रहा हैं। सीएचसी सतरिख, जैदपुर, सिद्धौर, त्रिवेदीगंज, सहादतगंज, रामनगर, घुंघटेर में बेड नसीब न होने के कारण मरीजों को जिला चिकित्सालय इलाज के लिए आना पड़ता है। 254 चिकित्सकों की है तैनाती : जिले के विभिन्न क्षेत्रों में वर्तमान समय में 19 सीएचसी व 58 पीएचसी संचालित हैं। जिनमें कुल 254 क करीब चिकित्सकों की तैनाती है। इनमें से 225 एमबीबीएस चिकित्सक, दो कॉन्ट्रैक्ट बेस पर एमबीबीएस चिकित्सक व चार डेंटल सर्जन के अतिरिक्त 27 आर्युवेदिक चिकित्सकों की तैनाती हैं। इनसेट: चिकित्सकों की कमी के लिए शासन में पत्र पहले लिखा जा चुका है। जितने भी संसाधन उपलब्ध हैं उनसे बेहतर कार्य किया जा रहा है।

डॉ. रमेश चंद्र, सीएमओ, बाराबंकी


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