यह 'रावण' मरें तो आए रामराज्य
समाज को स्वस्थ और खुशहाल बनाने के लिए बुराइयों कुरीतियों और अनाचार से मुक्ति दिलानी होगी। समाज में पार्किंग स्थलों पर अवैध कब्जा अशिक्षा सिगल यूज प्लास्टिक का प्रयोग जाम महिला उत्पीड़न भ्रष्टाचार कुपोषण जलभराव गंदगी और मिलावटखोरी जैसे रावण हैं जोकि दीमक बनकर इसे खोखला कर रहे हैं।
बाराबंकी: समाज को स्वस्थ और खुशहाल बनाने के लिए बुराइयों, कुरीतियों और अनाचार से मुक्ति दिलानी होगी। समाज में पार्किंग स्थलों पर अवैध कब्जा, अशिक्षा, सिगल यूज प्लास्टिक का प्रयोग, जाम, महिला उत्पीड़न, भ्रष्टाचार, कुपोषण,
जलभराव, गंदगी और मिलावटखोरी जैसे 'रावण' हैं, जोकि दीमक बनकर इसे खोखला कर रहे हैं। इनसे मुक्ति को लिए जाने वाले संकल्प और चलाए जाने वाले विभिन्न अभियान ²ढ़ इच्छा शक्ति के अभाव और प्रशासनिक उदासीनता के चलते दम तोड़ रहे हैं। रामराज्य लाने के लिए समाज के इन रावणों का संहार करना होगा। इसके लिए सिर्फ प्रशासन ही नहीं आमजन को भी सतर्क रहकर इनसे मुक्ति की युक्ति निकालनी होगी। आइए, इस दशहरे पर इन बुराइयों के समूल नाश के लिए सक्रिय भूमिका निभाने का संकल्प लें। प्रस्तुत है बाराबंकी से जगदीप शुक्ल की रिपोर्ट.. --------------
पार्किंग स्थलों पर अवैध कब्जा बड़े भवन और कांप्लेक्स के निर्माण में बिल्डर्स ने मानकों की अनदेखी की गई है। पार्किंग के लिए कहीं कोई जगह नहीं छोड़ी गई है। बेसमेंट में पार्किंग के बजाय दुकानें और बैंक संचालित हैं। ज्वाइंट मजिस्ट्रेट/ एसडीएम सदर सुमित यादव ने पार्किंग स्थलों को मुक्त कराने की बात कही है। अशिक्षा: विभिन्न योजनाओं और जागरूकता अभियानों के बावजूद अशिक्षा के स्तर में कोई खास सुधार होता नहीं दिख रहा है। जिले में साक्षरता का प्रतिशत 86.92 फीसद है। बालिका शिक्षा और उच्च शिक्षा के लिए आज भी विद्यार्थी दूसरे जिलों पर निर्भर हैं। सिगल यूज प्लास्टिक का प्रयोग
प्रतिबंध के बावजूद गांव से लेकर शहर तक सिगल यूज प्लास्टिक का प्रयोग धड़ल्ले से जारी है। इसमें गर्म पानी या चाय के प्रयोग से गंभीर बीमारियों का न सिर्फ खतरा रहता है बल्कि मवेशी भी मौत का शिकार हो रहे हैं। जबकि, प्रतिबंधित पालीथिन के विकल्प के रूप में कुल्हड़, पत्तल और मिट्टी के बर्तन उपलब्ध हैं। जाम :
दुकानदार आधी सड़क तक अपनी दुकानों का सामान फैलाए रहते हैं और बंकी रेलवे क्रांसिग पर ओवरब्रिज या अंडरपास का निर्माण नहीं हो सका है। इस कारण आए दिन जाम लगा रहता है।
महिला उत्पीड़न :
महिलाओं का उत्पीड़न जारी है। बीते एक साल में महिलाओं की हत्या के सात, दहेज हत्या के 26, दुष्कर्म के 12,
छेड़छाड़ के 66 और अपहरण व अन्य 90 मुकदमे दर्ज हो चुके हैं। ऐसा तब है जब विभिन्न मामलों में 288 की गिरफ्तारी, चार पर गैंगस्टर और 123 पर गुंडा एक्ट के तहत कार्रवाई की जा चुकी है। भ्रष्टाचार :
निजी संस्थाओं ही नहीं सरकारी विभागों में भी भ्रष्टाचार चरम पर है। एमडीएम, हैंडपंप, डूडा प्रशिक्षण, कृषि यंत्र और ग्राम पंचायतों में फर्जी हस्ताक्षर कर धनराशि निकालने का घोटाला हो चुका है। साथ ही राजस्वकर्मियों व पुलिसकर्मियों के वसूली के वीडियो वायरल हो चुके हैं। कुपोषण : स्वस्थ समाज की राह में कुपोषण सबसे बड़ी बाधा है। राष्ट्रीय पोषण सप्ताह के तहत विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किए जाने के बावजूद अब भी जिले में 6735 बच्चे कुपोषित हैं। जलभराव :
अनियोजित विकास के चलते शहर में जलभराव बड़ी समस्या है। नाला सफाई पर लाखों की धनराशि खर्च किए जाने के बावजूद सितंबर माह में दो दिन हुई भारी बारिश से करीब दर्जनभर मुहल्लों में जलभराव हो गया, जिसकी निकासी में पंद्रह दिन तक का समय लग गया। गंदगी :
संचारी रोगों से मुक्ति के लिए प्रशासन ने वृहद स्तर पर अभियान चलाया है। इसके बाद भी गांव से लेकर शहर तक खुले में कचरा डाला जा रहा है। ऐसा तब है जबकि ग्रामीण अंचल में सफाई के लिए 1731 और शहरी इलाके में 256 सफाईकर्मी तैनात हैं। मिलावटखोरी :
मिठाई, दूध आदि खाद्य पदार्थ हों या शराब सभी में मिलावटखोरी की जाती है। ऐसा तब है जबकि खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन विभाग की ओर से 2200 जगहों पर छापेमारी कर 517 नमूने लिए जा चुके हैं। इसमें 312 नमूने फेल हुए हैं।