फिर जगी रेठ नदी के प्राकृतिक स्वरूप बहाली की उम्मीद
फिर जगी रेठ नदी के प्राकृतिक स्वरूप बहाली की उम्मीद
बाराबंकी : कुर्सी क्षेत्र में रेठ नदी के प्राकृतिक स्वरूप की बहाली की उम्मीद एक बार फिर जगी है। वजह भी साफ है कि इस बार राजस्व परिषद की अपर मुख्य सचिव रेणुका कुमार जो जांच कर रही हैं। एडीएम संदीप कुमार गुप्ता ने रविवार को मौके पर जाकर स्थिति देखी और अब वह स्थलीय स्थिति की रिपोर्ट राजस्व परिषद को भेजेंगे। हालांकि जिला व शासन स्तर की कमेटियां पहले भी जांच कर चुकी हैं। यह है मामला : नदी पर एशिया कॉलेज के निकट पक्का निर्माण बनाने का काम वर्ष 2009 में यूपीएसआइडीसी कुर्सी ने किया था। इस पर करीब सात करोड़ रुपये खर्च हुए थे। तत्कालीन डीएम विकास गोठलवाल ने इसकी जांच कराई तो पाया कि नदी के प्राकृतिक स्वरूप को नष्ट किया गया है। उनकी जांच आख्या पर नदी के प्राकृतिक स्वरूप बहाली की दिशा में कोई सार्थक कदम नहीं उठाया जा सका। वर्ष 2010 में यह मुद्दा फिर उठा तो अधिशाषी अभियंता लोक निर्माण खंड तीन, अधिशाषी अभियंता बाढ़ कार्य खंड व अधिशाषी अभियंता प्रखंड शारदा नहर की तीन सदस्यीय जांच टीम ने जो आख्या सौंपी। इसके मुताबिक आइटीआइ कानपुर से नदी के चैनल का डिजाइन बनवाया गया था। लेकिन, यह मात्र 5.2 वर्ग किलोमीटर की परिधि के पानी की निकासी को लेकर था। जबकि नदी की कुल परिधि 140 वर्ग किलोमीटर है। जांच रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि वर्ष 2008 में अत्यधिक बारिश के कारण रेठ नदी के निकट कुर्सी स्थित पावर ग्रिड तक पानी भर गया था। ऐसे में नदी की पूरी परिधि को ध्यान में रखकर नदी का स्वरूप बहाल किया जाना चाहिए। वर्ष 2013 में शासन स्तर से एक जांच कराई गई। इसमें यह भी पाया गया था कि सिचाई प्रखंड शारदा नहर सीतापुर ने बिना स्थलीय स्थिति की जांच व डाटा प्राप्त किए यूपीएसआइडीसी के अपूर्ण एवं गलत तथ्यों के आधार पर प्रस्तुत प्रस्ताव को अधीक्षण अभियंता सिचाई कार्य मंडल सीतापुर को अग्रसारित कर दिया। इसका अधीक्षण अभियंता ने भी परीक्षण किए बिना अनापत्ति प्रमाण पत्र जारी कर दिया।
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