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घाघरा का जलस्तर घटा, दुश्वारियां बढ़ीं

सूरतगंज (बाराबंकी) : घाघरा नदी का जलस्तर घटने के साथ ही दुश्वारियां बढ़ती जा रही है

By JagranEdited By: Published: Sat, 08 Sep 2018 11:32 PM (IST)Updated: Sat, 08 Sep 2018 11:32 PM (IST)
घाघरा का जलस्तर घटा, दुश्वारियां बढ़ीं
घाघरा का जलस्तर घटा, दुश्वारियां बढ़ीं

सूरतगंज (बाराबंकी) : घाघरा नदी का जलस्तर घटने के साथ ही दुश्वारियां बढ़ती जा रही हैं। चार दिन पहले जलस्तर खतरे के निशान से 90 सेंटीमीटर ऊपर था जो घटते-घटते शनिवार की शाम पांच बजे 20 सेंटीमीटर ऊपर बचा है। बारिश न हुई तो रविवार को जलस्तर करीब 10 सेंटीमीटर और घटने का अनुमान है।

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कचनापुर गांव के 141 परिवार सहित सुंदरनगर, बलईपुर, सरसंडा व कोडरी आदि गांवों करीब छह सौ परिवार हेतमापुर के निकट तटबंध पर बसे हैं। करीब एक माह से पानी चारों तरफ भरा होने से जल जनित बीमारियां हो रही हैं। शायद ही कोई परिवार हो जिसका कोई न कोई सदस्य बुखार, सर्दी, त्वचारोग व नेत्र विकार से परेशान न हो। राम कुमार ने बताया कि तटबंध तक स्वास्थ्य विभाग की टीमें आती हैं। क्लोरीन की गोलियां पानी में डालकर को पीने दी गई हैं पर क्लोरीन की गोली वाला पानी पीने में बहुत खराब लगता है।

खुजली व दाद से परेशान कल्लू ने बताया कि स्वास्थ्य विभाग की दवा खाने से खुजली में तो ज्यादा आराम नहीं मिलता पर नींद आने लगती है। इससे अन्य कार्य प्रभावित होते हैं।

सिरौलीगौसप र क्षेत्र में नाऊ पुरवा, नैपुरा, परसावल, कोठरी गौरिया, रामसनेहीघाट तहसील के कोयलावर, ढेमा, गुनौली आदि गांवों के बाढ़ पीड़ितों के भी हाल बेहाल हैं। मशक्कत से मिलता है पशुओं का चारा

टिकैतनगर : बाढ़ क्षेत्र में पशुओं के लिए चारा एकत्र करना मशक्कत का काम है। टिकरी गांव के एक किसान की पिछले हफ्ते चारा लाते समय ही नदी में डूबकर मौत हो गई थी। कोयलावर गांव के पवन कुमार, राम सागर व राम समुझ का कहना है कि तराई में खेती व पशुपालन ही जीविका का माध्यम है। एक महीने से बाढ़ का पानी भरा होने से हरा चारा नष्ट हो गया है। प्रशासन की ओर से एक बार भूसा दिया गया था जो दो दिन में ही खत्म हो गया। पांच-छह किलो मीटर दूर तक जाकर चारे का इंतजाम करना पड़ रहा है।


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