आश्वासन के सहारे कट रही जिदगी, सड़क पर बस गया गांव
-सरयू की गोद में समा चुके कचनापुर गांव के बाढ़ पीड़ितों का हाल
बाराबंकी : आश्वासन के सहारे जिदगी काट रहे कचनापुर के ग्रामीण अब आपको गांव में नहीं मिलेंगे। यहां की आबादी अब आसपास के गांवों में बिखर चुकी है। इस गैर आबाद गांव के 42 परिवार आज भी आश्वासन के सहारे गांव को जाने वाली सड़क के दोनों तरफ झोपड़ी बनाकर रह रहे हैं। उन्हें उम्मीद है कि उनका भी कोई तारनहार आएगा। उन्हें घर बनाने के लिए जमीन का पट्टा देगा।
घाघरा यानी सरयू नदी के किनारे बसे कचनापुर गांव में 161 परिवार थे। वर्ष 2016 की बाढ़ में नदी ने गांव की ओर रुख किया और धीरे-धीरे वर्ष 2018 में पूरा गांव और ज्यादातर ग्रामीणों के खेत नदी में समा गए। तत्कालीन डीएम डॉ. उदयभानु त्रिपाठी के प्रयास से ग्राम पंचायत टहरी के मजरे भिटौली में 76 परिवारों को एक-एक बिस्वा आवासीय पट्टे की भूमि का आवंटन किया गया। इनमें 10 परिवार छूट गए व 32 परिवारों को जमीन पर कब्जा नहीं मिल सका। पैमाइश के लिए राजस्व कर्मियों को फुर्सत ही नहीं मिल रही। 70 परिवार लालपुर गांव में जमीन खरीदकर बस गए।
ऐसे में 42 परिवार कचनापुर गांव को जाने वाली सीसी सड़क के दोनों तरफ झोपड़ी रखकर बसे हैं। स्वच्छ भारत मिशन अभियान के तहत लोगों के शौचालय बनवाए गए लेकिन इन परिवारों के लिए खुले में शौच की विवशता है। इरफान के परिवार में पांच, सलीम के परिवार में आठ, खातून के परिवार में चार, रज्जन के परिवार में आठ सदस्य हैं। ऐसे में झोपड़ी में किस तरह जिदगी कट रही होगी इसका सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है। इसी तरह शकील, शाकिर, मोहरमली, मोसिना, शहबान आदि भी जिदगी बिता रहे हैं। इन लोगों का कहना है कि पट्टे की भूमि पर कब्जा दिलाना और वंचित लोगों को पट्टा दिलाना सरकारी काम है, देर से ही सही लेकिन होगा जरूर। इन्हें नहीं मिला पट्टा : सलीम, मुन्निर, नूरहसन, अली हसन, रशीद, शहीद, कदीर, नूरदीन सहित 10 लोगों कागजी पट्टा भी नहीं मिला है। कचनापुर में आर्थिक गणना 2011 की आवास पात्रता सूची के अनुसार जो पात्र थे उन बाढ़ पीड़ितों का आवास का लाभ दिया गया है। मुख्यमंत्री आवास योजना के तहत अन्य लोगों को आवास दिलाने का प्रयास किया जाएगा।
विजय कुमार यादव, बीडीओ, सूरतगंज
इनसेट- कचनापुर के 76 ग्रामीणों को आवासीय जमीन दूसरे गांव में दी गई थी, शेष ग्रामीणों को भी जमीन देने की प्रक्रिया चल रही है। जिन्हें पट़टा मिलने के बाद भी कब्जा जिस कारण से नहीं मिला है उसका निवारण कराया जाएगा''
-संदीप कुमार गुप्ता, एडीएम, बाराबंकी