आबादी बढ़ी, पर नहीं हो सके जलनिकासी के पुख्ता इंतजाम
29 वार्डों में विस्तारित क्षेत्रों में थोड़ी सी बारिश में हो जाती है टापू जैसी स्थिति
बाराबंकी : शहर की आबादी बढ़ी लेकिन जलनिकासी के पुख्ता इंतजाम नहीं किए जा सके हैं। यही वजह है कि थोड़ी सी बारिश में ही शहर के कई वार्डों में टापू जैसी स्थिति हो जाती है।
नगर पालिका परिषद नवाबगंज क्षेत्र के 29 वार्डाें की जलनिकासी के लिए छोटे-बड़े कुल 80 नाले हैं। इनकी सफाई पर हर वर्ष करीब 12 से 14 लाख की धनराशि खर्च की जाती है। इसके बावजूद जलभराव से लोगों को राहत नहीं मिलती। इसकी मुख्य वजह नाला सफाई में खानापूरी है।
शहर को जलभराव से मुक्ति दिलाने के लिए करीब 13 वर्ष पहले केंद्र सरकार की जवाहरलाल नेहरु अर्बन रिनीवल मिशन योजना के तहत सीवरेज सिस्टम तैयार किया गया था। लेकिन, यह प्लान सिर्फ प्रस्ताव बनाने तक ही सीमित रह गया। जबकि वार्डों की संख्या 25 से बढ़कर 29 और आबादी डेढ़ लाख से बढ़कर साढ़े तीन लाख की आबादी हो गई है। जलनिकासी की समस्या मौजूदा समय में और भी विकट हो गई है।
इन मुहल्लों में भरता है पानी : जलनिकासी का इंतजाम न होने से शहर के पल्हरी, पैसार, दशहराबाग, पंचशील कॉलोनी, लखपेड़ाबाग आंशिक, आनंद विहार बड़ेल, लक्ष्मणपुरी, दशहराबाग का खलरिया सहित दर्जन भर मुहल्ले ऐसे है जहां बारिश के दौरान भरा पानी एक सप्ताह या फिर एक माह से अधिक समय तक भरा रहता है।
धनराशि लेने के बाद भी नतीजा सिफर : करीब दो दशक पहले आवास-विकास कॉलोनी में मकानों के आवंटन के समय सीवरेज सिस्टम बनाने का आश्वासन दिया गया था। सीवरेज सिस्टम के लिए आवास विकास परिषद से धनराशि भी प्राप्त हुई थी, पर इसे मूर्त रूप नहीं दिया जा सका। ऐसे में अधिक बारिश होने पर मकानों में बारिश का पानी घुस जाता है।
इनसेट: जलनिकासी की समस्या के लिए लगातार प्रयासरत हूं। मोहारीपुरवा के पास नाला प्रस्तावित है। इसके बनने के बाद जलभराव की समस्या से काफी हद तक निजात मिल जाएगी। विस्तारित क्षेत्र में जलभराव न हो इसके लिए बड़ेल में नाला निर्माण कराया जा रहा है।
शशि श्रीवास्तव, अध्यक्ष, नगर पालिका परिषद नवाबगंज, बाराबंकी।
फैक्ट फाइल
आबादी : करीब साढ़े तीन लाख
वार्ड -29
बड़े व छोटे नालों की संख्या - करीब 80