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देवा सांस्कृतिक मंच: सुलभ शौचालय का होगा विस्तार

देवा : देवा मेला में बने डीलक्स शौचालय में कम शीटें होने से जायरीन को होने वाली दिक्कतों क

By JagranEdited By: Published: Fri, 02 Nov 2018 11:16 PM (IST)Updated: Fri, 02 Nov 2018 11:16 PM (IST)
देवा सांस्कृतिक मंच: सुलभ शौचालय का होगा विस्तार
देवा सांस्कृतिक मंच: सुलभ शौचालय का होगा विस्तार

देवा : देवा मेला में बने डीलक्स शौचालय में कम शीटें होने से जायरीन को होने वाली दिक्कतों की खबर का पर्यटन विभाग ने संज्ञान लिया है। विभाग ने शौचालय विस्तार की संस्तुति कर दी है।

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जागरण ने बीते दिनों मेले में डीलक्स सुलभ शौचालय में सुबह लगने वाली भीड़ और जायरीन को होने वाली दिक्कतों की खबर प्रकाशित की थी। क्षेत्रीय पर्यटन अधिकारी ब्रजपाल ¨सह ने इसका संज्ञान लेते हुए शौचालय विस्तार की संस्तुति कर दी है। इसके तहत मेला परिसर में बने डीलक्स शौचालय का विस्तार कर 10 शीटों का विस्तार किया जाएगा। गोष्ठी में दी अधिकारों की जानकारी

देवा : शुक्रवार को मेला प्रेक्षागृह में विधिक साक्षरता गोष्ठी का आयोजन हुआ। गोष्ठी में लोगों को उनके अधिकारों से अवगत कराया गया। सरोज लक्ष्मी ने शिक्षा और स्वास्थ्य के अधिकारों की जानकारी दी। लवनीन गुप्ता ने महिला सशक्तिकरण और आत्मरक्षा की जानकारी दी। संगीत कुमार पाठक ने वृद्धजनों के अधिकार की जानकारी दी। कुरेशा खातून ने घरेलू ¨हसा, अरुण कुमार ने पास्को अधिनियम, नौशाद हसन अंसारी ने लैंगिक समानता और लिप्रोसी के बारे में बताया। जिला जज नीरजा ¨सह के निर्देशन में जिला विधिक सेवा प्राधिकरण की रचना ¨सह और अनेक कानूनविद मौजूद रहे। संचालन विपिन कुमार ¨सह ने किया। भरत नृत्य से दिखाई संस्कृति की छवि

देवा : कला शमशुर्रहमान ने शुक्रवार की देर रात अपने भरत नाट्यम के माध्यम से अनेक प्रसंगों का चित्रण किया। पद्मभूषण सरोजा वैद्यनाथन के शिष्य शमशुर्रहमान ने सबसे पहले नृत्य के माध्यम से हनुमान चालीसा के भावों को प्रस्तुत किया। इसके बाद उन्होंने ठुमक चलत राम चंद्र बाजत पैजनिया भजन पर एकल प्रस्तुति दी। इस भजन में उन्होंने कौशल्या और श्रीराम के वात्सल्य भावों को प्रस्तुत किया। रावण द्वारा रचित शिव तांडव स्त्रोतम और बाल राम की चाल को भावों के माध्यम से प्रकट किया। इसके बाद उन्होंने दक्षिण का पारंपरिक क¨लग नर्तन तिल्लाना प्रस्तुत किया। इस नृत्य में कालिया वध के समय कालिया के फन पर श्रीकृष्ण द्वारा किए गए नृत्य के समय निकलने वाले घुंघरुओं की आवाज को नृत्य के माध्यम से दर्शाया गया था।


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