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..त्रेतायुग का निर्णय होना है कलयुग के न्यायालय में

बाराबंकी : देवा मेला के सांस्कृतिक पंडाल में मंगलवार की रात आयोजित कवि सम्मेलन में देश के

By JagranEdited By: Published: Wed, 31 Oct 2018 12:21 AM (IST)Updated: Wed, 31 Oct 2018 12:21 AM (IST)
..त्रेतायुग का निर्णय होना है कलयुग के न्यायालय में
..त्रेतायुग का निर्णय होना है कलयुग के न्यायालय में

बाराबंकी : देवा मेला के सांस्कृतिक पंडाल में मंगलवार की रात आयोजित कवि सम्मेलन में देश के विभिन्न स्थानों से आए ख्यातिलब्ध कवियों ने समां बांध दिया। अयोध्या में श्रीराम मंदिर निर्माण सहित देश की अन्य समस्याओं पर अपनी रचनाओं के जरिए ¨चतन व्यक्त किया।

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कवि सम्मेलन भाजपा जिलाध्यक्ष अवधेश श्रीवास्तव की अध्यक्षता में हुआ। इससे पूर्व भाजपा जिलाध्यक्ष के साथ विधायक रामनगर शरद अवस्थी, जैदपुर विधायक उपेंद्र रावत, डीएम उदयभानु त्रिपाठी, आयोजक राय स्वरेश्वर बली ने दीप जलाकर व मां सरस्वती के चित्र पर माल्यार्पण कर शुभारंभ किया। संचालन राजस्थान के कवि डॉ. सुरेंद्र सार्थक ने किया। गाजीपुर बनारस की डॉ. संध्या तिवारी की वाणी वंदना 'मैं करूं तुम्हारा वंदन मुझे भाव व विमल दे। आसन तेरा सजा दूं शब्दों का वह कमल दे' से हुआ।

लखनऊ गोसाईगंज के युवा कवि कमल आग्नेय ने पढ़ा कि 'श्रीराम लाचार खड़े हैं तंबू के न्यायालय में, त्रेतायुग का निर्णय होगा कलयुग के न्यायालय में।' डॉ. सौरभ शर्मा चंदौसी ने पढ़ा-'राष्ट्र रक्षा से बढ़कर धर्म नहीं हो सकता है। मां की ममता से बढ़कर मर्म नहीं हो सकता है।' कानपुर के हेमंत पांडे ने पढ़ा '377 लगाकर एसी लगा गया आग है। मोहल्ले का ¨टकू अब तो गया जाग है।' रायपुर के गीतकार रमेश विश्वहार ने पढ़ा-'सदियों से सियासत का चलन देख रहे हैं, जनतंत्र के माथे पे शिकन देख रहे हैं। रद्दी की टोकरी में है सुकरात का ¨चतन, गांधी के वसूलों का दफन देख रहे हैं। मुंबई के बनज कुमार ने पढ़ा-'जब सागर को जीत का था पूरा विश्वास, तभी अचानक ले लिया नदिया ने सन्यास।' लखीमपुर के अनिल अमल ने पढ़ा-'जब सत्ता बलिदानों पर भी राजनीति करवाती है, तब मेरी कविता शब्दों में अंगारे फैलाती है।' दिल्ली की शैलजा ¨सह ने पढ़ा-'लगी हवा पश्चिम की जबसे भूल रहे पुरवइया को, जाने किसकी नजर लग गई अपनी सोन चिरैया को।' छतरपुर के आदित्य राम पाठक ने पढा-'देखा सुभाष की जवानियों का शौर्य तेज वक्त ने जो देखा उस वक्त को प्रणाम है। फांसियों में झूले देश प्रेमियों ने अंत तक पांव से छुआ है उस तख्त को सलाम है।'

कवि जागेश्वर प्रसाद, कुमार पुष्पेंद्र ने भी अपनी रचनाओं से मंच को ऊंचाइयां प्रदान कीं। कवि सम्मेलन आयोजन समिति के अध्यक्ष राय स्वरेश्वर बली उर्फ संजय बली ने आए हुए कवियों का स्वागत किया। संयोजक डॉ. अंबरीश अंबर रहे। डीएम उदयभान त्रिपाठी, एसपी वीपी श्रीवास्तव आदि मौजूद रहे।


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