मृत्युशय्या पर मौत के प्रमाणपत्र की व्यवस्था
सुविधाएं तो दूर मौत का प्रमाणपत्र भी नहीं!
बाराबंकी : विकास के दावों की हकीकत खोलती यह तस्वीर जिला मुख्यालय से सटे गांवों की है। यहां के लोग विकास की दौड़ में तो पिछड़े ही, अब मृत्यु प्रमाणपत्र भी नहीं मिल पा रहा है। इसकी वजह परिसीमन के दौरान जिम्मेदारों की लापरवाही के चलते नगर पालिका परिषद नवाबगंज में शामिल होने से इन पांच गांवों का छूट जाना है। जबकि, पंचायत के नगर पालिका का हिस्सा बन जाने से यह गांव अब पंचायत का हिस्सा भी नहीं रह गए हैं। पांच साल बीतने वाले वाले हैं, लेकिन किसकी लापरवाही से यह हाल हुआ यह भी नहीं तय हो सका है।
वर्ष 2015 में बंकी ब्लॉक शहर से जुड़ी ग्राम पंचायत बड़ेल, पैसार, फैजुल्लागंज, आलापुर, ओबरी, जिन्हौली सहित नौ ग्राम पंचायतों को नगर पालिका परिषद नवाबगंज के विस्तार में शामिल किया गया। इन ग्राम पंचायतों का मजरा रहे ग्राम दरामनगर, जगनेहटा, बादीनगर, सफीपुर व मंझलेपुर परिसीमन में छूट गए। यहां की आबादी को नगर पालिका ने अपना हिस्सा नहीं माना और ग्राम पंचायत का वजूद नगर पालिका में विलय के चलते ग्राम पंचायत में मिलने वाली वाली सुविधाएं भी बंद हो गई। शहर व ग्रामीण दोनों क्षेत्रों में प्रधानमंत्री आवास योजना व स्वच्छता मिशन के तहत शौचालय सहित कई योजनाएं हैं मगर किसी का भी लाभ इन ग्रामीणों को नहीं मिल पा रहा।
चुनाव का बहिष्कार भी किया
लोकसभा चुनाव के दौरान मंझलेपुर के नागरिकों ने चुनाव बहिष्कार का बैनर लगा दिया था तब प्रशासनिक अधिकारियों ने शासन को पत्र लिखने का आश्वासन दिया था। दरामनगर निवासी विजय कुमार वर्मा, दिनेश वर्मा, गुड्डू वर्मा, राजेश कुमार, जयसीराम आदि ने धरना-प्रदर्शन कर ज्ञापन भी दिए, मगर नतीजा सिफर रहा। निवासी ओंकार नाथ सिंह, रामनरेश वर्मा का कहना है कि हम लोग अब न्यायालय की शरण में जाएंगे।
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छूटे हुए गांवों को नगर पालिका में शामिल करने के लिए शासन को पत्र लिखा गया था। अब दोबारा रिमाइंडर भेजा जाएगा।
- अभय कुमार पांडे, एसडीएम नवाबगंज बाराबंकी