टोलियों को पढ़ाकर उनके सपनों में रंग भर रहीं बेटियां
हैदरगढ़ ब्लॉक के भियामऊ से पांच सितंबर को शुरू हुई मुहिम 25 गांवों तक पहुंची
बाराबंकी : कोरोना काल में स्कूल-कॉलेज बंद होने के पर ग्रामीण क्षेत्र में शिक्षा व्यवस्था खासी प्रभावित हुई। इससे मुख्य रूप से परिषदीय स्कूल के बच्चे प्रभावित हुए, जो संसाधनों के अभाव में ऑनलाइन पढ़ाई का हिस्सा नहीं बन पाए। इस पर हैदरगढ़ के प्राथमिक विद्यालय भियामऊ की शिक्षिका शिवानी सिंह ने टोलियों बच्चों का जुटाकर उन्हें पढ़ाने की जुगत निकाली। धीरे-धीरे पहल से लोग जुड़े तो यह एक मुहिम बन गई। गांव की बारहवीं, स्नातक की पढ़ाई करने वाली बेटियों ने अपने से छोटी कक्षाओं की बच्चों को निश्शुल्क पढ़ाने का संकल्प लिया। अब करीब 300 बालिकाएं मुहिम से जुड़कर भविष्य के भारत की नींव गढ़ रही हैं। गत्ते का तो कहीं लोहे के बोर्ड पर पढ़ाई :
संसाधनों के अभाव का भी इन बालिकाओं ने विकल्प ढूंढ लिया है। घरकुइयां की अनीता ने गत्ते को ही ब्लैक बोर्ड बना लिया है। रीठी की लवली मौर्या बच्चों को कार्ड बोर्ड पर कोयले से लिखकर पढ़ाती हैं। भेटमऊ की हेमा गत्ते के टुकड़ों के माध्यम तो घकुइयां की आरती पंचायत के उखड़े बोर्ड पर बच्चों को पढ़ा रही हैं। बच्चों को पढ़ाने वाली बालिकाएं यह कार्य करके न सिर्फ संतुष्ट हैं बल्कि उत्साहित भी हैं। आरती बताती हैं कि बच्चों को पढ़ाने से अपना भी रिवीजन हो जाता है, जोकि आगे की पढ़ाई में काम आएगा। कुछ यूं परवान चढ़ रही मुहिम:
शिवानी सिंह बताती हैं कि ऑनलाइन शिक्षा से वंचित बच्चों को शिक्षा की मुख्यधारा से जोड़ने के लिए टोलियों में शिक्षक का विचार आया। पांच सितंबर 2020 को भियामऊ से इसकी शुरुआत की थी। फिर गांवों में जाकर बड़ी कक्षाओं में पढ़ने वालों को छोटी कक्षाओं के बच्चों को निश्शुल्क पढ़ाने के लिए प्रेरित कर संकल्प दिलवाया। धीरे-धीरे यह सिलसिला पासिनपुरवा, मितईपुरवा, भेटमुआ, सिकंदरपुर, रीठी, रनापुर, तारागंज, गोतौना, बिबियापुर सहित 25 गांवों तक पहुंच चुका है। इससे मालती, शानू, लक्ष्मी, गुड़िया, विमला, हेमा, मनीषा, आरती, लवली, रेखा सहित करीब तीन सौ बालिकाएं जुड़ी हैं, जोकि विभिन्न गांवों में करीब 1400 बच्चों को टोलियों में पढ़ा रही हैं। वह बताती हैं कि मुहिम से जुड़े बालक-बालिकाओं को प्रोत्साहित करने के लिए उन्हें प्रशंसा पत्र दिया जाएगा।