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सरकार की संजीवनी मिले तो जी उठें औद्योगिक इकाईयां

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By JagranEdited By: Published: Tue, 19 May 2020 11:28 PM (IST)Updated: Wed, 20 May 2020 06:07 AM (IST)
सरकार की संजीवनी मिले तो जी उठें औद्योगिक इकाईयां
सरकार की संजीवनी मिले तो जी उठें औद्योगिक इकाईयां

बाराबंकी : लॉकडाउन में बंदी और उसके बाद सरकारी शर्तों पर उद्योग इकाइयों के संचालन में बढ़ रहा खर्च उद्यमियों के लिए कष्टकारी साबित हो रहा है। जिले के कुर्सी रोड स्थित औद्योगिक क्षेत्र में छोटी-बड़ी करीब दो सौ औद्योगिक इकाइयों का संचालन प्रभावित हुआ। लॉकडाउन के दौरान इकाइयां बंद होने के बावजूद श्रमिकों का सरकार के निर्देश पर किया गया वेतन भुगतान, बिजली का फिक्स चार्ज, इकाई संचालन को लिए गए बैंक से लिए गए ऋण की किस्तें चुकता करना जैसी चुनौतियों के साथ ही गैर प्रांतों के श्रमिकों के जाने से प्रशिक्षित श्रमिकों का कमी की समस्या का उद्यमी सामना कर रहे हैं। ऐसे में सरकार की ओर से आत्म निर्भर योजना के तहत घोषित किए गए पैकेज को धरातल पर आने की राह उद्यमी देख रहे हैं। जागरण ने उद्यमियों से बात की तो उनकी समस्या और सरकार से अपेक्षा सामने आई।

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लॉकडाउन के दौरान बंदी के बाद अब दोबारा प्लांट संचालित हो गया। बंदी के दौरान श्रमिकों को पूरा पैसा दिया। श्रेय सरकार ने लिया कि सरकार के कहने पर हम पैसा दे रहे हैं। इस बीच बैंक की किस्त व डिलीवरी वाहनों की किस्त, बिजली का बिल भी देना पड़ा। आत्मनिर्भर योजना धरातल पर आए तब हमें कुछ राहत मिलेगी। सरकार से अपेक्षा है कि उद्योग स्थापना के लिए जो ऋण लिया है उस पर ब्याज दर कम करे, लॉकडाउन के महीनों की बैंक किस्त माफ की गई जाए। जीएसटी में भी छूट दे।

-अनिल दीप आनंद, जिलाध्यक्ष, इंडियन इंडस्ट्रीज एसोसिएशन। ऋण पर ब्याज दर कम करने के साथ ही लॉकडाउन के महीनों में किस्तें माफ की जाएं। सरकार को सब्सिडी के रूप में श्रमिकों का वेतन भी कुछ माह के लिए देना चाहिए। इससे उद्योगों को पुनर्जीवित करने में मदद मिलेगी। साथ ही सरकार लीज होल्ड भूखंडों को फ्रीहोल्ड भी कर दे तो बड़ी राहत होगी।

-प्रमित कुमार सिंह, पवार इंडस्ट्रीज के मालिक/आइआइए के उपाध्यक्ष

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33 प्रतिशत श्रमिकों के साथ लॉकडाउन के नियमों का अनुपालन करने से फैक्ट्री के खर्चे बढ़े हैं लेकिन आमदनी घटी है। दुकानदारों के पास जो पैसा फंसा है वह भी वापस नहीं आ रहा। गैरप्रांतों के श्रमिक चले गए हैं उनके वापस आने पर संशय है। प्रशिक्षित श्रमिकों के अभाव में भी इकाईयों का संचालन प्रभावित होगा। सरकार को राहत पैकेज देना चाहिए।

-विवेक अग्रवाल, पानी टंकी बनाने की फैक्ट्री संचालक

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उद्योग को गति देने के लिए सरकार ब्याज दर सस्ती करने के साथ ही तीन माह तक ऋण की किस्तों को माफ करे। घाटे का आकलन कर राहत पैकेज जारी करे। साथ ही बिजली का बिल भी लॉकडाउन के दौरान का माफ किया जाए।

-विजय कुमार सिंह, संचालक, अपोला फार्मेसी।

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अभी तक 2470 छोटी-बड़ी इकाइयां संचालित हो गई हैं। विभागीय योजनाओं का क्रियान्वयन हो रहा है। सरकार की ओर से इकाईयों के लिए अभी कोई विशेष पैकेज नहीं जारी किया गया है।

उमेश चंद्र, उपायुक्त, जिला उद्योग। फाइल फैक्ट

बड़ी इकाई : 263

छोटी इकाई : 18 हजार

श्रमिक : 63 हजार


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