रेडियोलॉजिस्ट न होने से धूलफांक रहीं अल्ट्रासाउंड मशीनें, मरीज परेशान
अस्पतालों में नहीं होता अल्ट्रासाउंड मरीज परेशान
केस एक -
शहर की कटरा मोहल्ला निवासी गर्भवती अंकिता को अपनी जांच करानी थी। जिला महिला अस्पताल में अल्ट्रासाउंड न होने पर निजी केंद्र में जांच करानी पड़ी। तीमारदारों ने बताया कि निजी केंद्रों में जहां 600 रुपये फीस भरनी पड़ती है। केस दो -
मोहल्ला डीएम कालोनी निवासी अर्जुन के पेट में पथरी है। वह अपना अल्ट्रासाउंड कराने जिला पुरुष अस्पताल गया तो जानकारी दी गई कि वहां जांच नहीं होती है। इससे बिना जांच कराए दर्द की दवा लेकर उसे वापस घर लौटना पड़ा है। जागरण संवाददाता, बांदा : सरकारी स्वास्थ व्यवस्थाएं किस तरह से पंगु हैं। इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि मंडल मुख्यालय के किसी भी बड़े सरकारी अस्पतालों में अल्ट्रासाउंड जांच की सुविधा नहीं है। गर्भवती महिलाओं से लेकर पेट के अन्य मरीजों को जांच के लिए दर-दर भटकना पड़ रहा है। चिकित्सा एवं स्वास्थ्य परिवार कल्याण मंत्री जय प्रताप सिंह के निरीक्षण में भी यहां की इस गंभीर समस्या को उठाया गया था। जिसमें उन्होंने भी मैन पावर का अभाव होना स्वीकार किया था।
मंडल मुख्यालय में कहने को तो मेडिकल कॉलेज, ट्रामा सेंटर, जिला पुरूष व महिला अस्पताल संचालित हो रहे हैं लेकिन इन किसी भी अस्पतालों में अल्ट्रासाउंड जांच की सुविधा नहीं है। इसमें ऐसा नहीं है कि अस्पतालों में अल्ट्रासाउंड मशीनें नहीं हैं। सभी अस्पतालों में मशीन होने के बाद भी रेडियोलॉजिस्ट की तैनाती है। इससे मरीजों को जांच का लाभ नहीं मिल पा रहा है। जिला महिला अस्पताल में करीब 140 मरीजों की इस समय ओपीडी चल रही है। तीन माह से ज्यादा की हर गर्भवती को अल्ट्रासाउंड कराने की जरूरत होती है। इससे रोजाना कम से कम 20-25 गर्भवती महिलाएं जांच को आ रही हैं। वहां जांच की सुविधा न होने से सभी को निजी केंद्रों में जाना पड़ता है। वर्ष 2015 में रेडियोलॉजिस्ट डॉ. अरुण प्रकाश का प्रयागराज स्थानांतरण हो गया था। तब से अभी तक नियमित जांच की व्यवस्था नहीं हो पाई है। कुछ समय के लिए डॉ. सुशील कुमार ने जांच करना शुरू किया था। लेकिन बाद में उनका भी स्थानांतरण हो गया। इसी तरह पुरुष अस्पताल में जनवरी माह से अल्ट्रासाउंड नहीं हो रहे। वहां के रेडियोलॉजिस्ट डॉ. पी एस सागर सेवानिवृत्त हो चुके हैं। वहां की मशीन भी कमरे की शोभा बढ़ा रही है। इसी तरह मेडिकल कॉलेज में भी इस जांच की व्यवस्था अभी तक नहीं है। ट्रामा सेंटर में तो मशीन भी नहीं लगी है। इससे कुल मिलाकर सभी अस्पतालों के करीब 70 मरीज रोजाना जांच के लिए निजी केंद्रों में भटक रहे हैं।
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- रेडियोलॉजिस्ट के पद खाली होने से अल्ट्रासाउंड जांचें नहीं हो पा रही हैं। चिकित्सा मंत्री ने जल्द मैनपावर उपलब्ध कराने का आश्वासन दिया है। रेडियोलॉजिस्ट तैनात होने से जांच की सुविधा मिलने लगेगी।
डॉ. एसएन मिश्रा सीएमएस जिला अस्पताल